भगवान श्रीरामचन्द्र के जीवन चरित के बारे में लिखे गए ग्रंथ रामायण और रामचरितमानस के बारे में आप सभी जानते होंगे। उनके पाठ से पुण्य प्राप्ति के बारे में भी जानते होंगे। लेकिन क्या आपको एक श्लोकी रामायण (Ek Shloki Ramayan) के बारे में पता है। चलिये इसके बारे में जानते हैं…
भगवान श्री राम जी की रामायण का पाठ करने पर आपको रामजी, माता सीता और हनुमान जी, तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जबकि आज के समय में लोगों के पास समय की कमी के कारण, पूर्ण रूप से रामचरितमानस और रामायण का पाठ करना संभव नहीं हो पाता है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम के इस एक श्लोकी रामयण का पाठ करने से आपको सम्पूर्ण रामायण और रामचरितमानस पाठ का ही पुण्य प्राप्त होता है।
एक श्लोकी रामायण (Ek Shloki Ramayan)
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्॥
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्॥
एक श्लोकी रामायण का अर्थ– इस श्लोक में सम्पूर्ण रामायण का सार (संक्षिप्त रूप) में वर्णन मिलता है। इस श्लोक अर्थ है कि – जब भगवान राम वन को गए थे, तब उन्हें वहां एक स्वर्ण मृग (सोने का हिरण) दिखा, जिसका उन्होंने पीछा किया और उसे मार डाला। तभी वैदेही अर्थात माता सीता का हरण रावण ने कर लिया। माता सीता को बचाने के लिए पक्षी राज्य जटायु ने रावण से युद्ध करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इसके बाद माता सीता को ढूंढते हुए भगवान राम की भेंट सुग्रीव से हुई और उनकी मित्रता हो गई।
राम ने सुग्रीव के पापी भाई बालि का वध किया, सुग्रीव ने भी माता सीता को खोजने में श्रीराम जी की सहायता की। इसके बाद हनुमान जी ने लंका पहुंचकर रावण की सोने लंका में आग लगा दी। युद्ध में रावण और उसके भाई कुंभकरण का वध हुआ। इस प्रकार इस एक श्लोक में संपूर्ण रामायण का सार मिलता है।
इस प्रकार एक श्लोकी रामायण का पाठ करना अत्यंत सरल और सुगम है। इसलिए इस श्लोक का पाठ नियमित रूप से भी किया जा सकता है।

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