दिवाकरी में गूंजे रुद्राभिषेक के मंत्र, बच्चों ने साधा ध्यान
अलवर जिले के दिवाकरी गांव में जरूरतमंद बच्चों के लिए चलाए जा रहे “शिक्षा संस्कार वृक्ष विद्यालय” में रविवार को आध्यात्मिक ऊर्जा और वैदिक संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला। आर्ट ऑफ लिविंग और नेक कमाई फाउंडेशन की साझेदारी से आयोजित रुद्राभिषेक में बच्चों और ग्रामीणों ने वैदिक मंत्रों के साथ शिवभक्ति की अनुभूति की।
स्वामी उदय शर्मा (बेंगलुरु) और उनकी गुरुकुल टीम ने वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ रुद्राभिषेक संपन्न कराया। खास बात यह रही कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों ने भी ध्यान साधना के साथ मंत्रोच्चार में भाग लिया, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
सम्मान और स्वागत में दिखा उत्साह
कार्यक्रम की संयोजक मंजू चौधरी अग्रवाल ने स्वामी उदय शर्मा और उनकी टीम का स्वागत किया। नेक कमाई की ओर से दौलत राम हजरती ने इसे अलवर के लिए सौभाग्यपूर्ण अवसर बताया।
विद्यालय की निदेशक प्रतिभा सिंह ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम की आरती ग्रामीण महिलाओं द्वारा की गई।
आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से नवीन खंडेलवाल, एन.एस. भूटानी, सुभाष वधवा, कैलाश, मनीषा, सुमन सहित अनेक सदस्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन मंजू चौधरी अग्रवाल और कोर्डिनेटर अभिषेक तनेजा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
रुद्र पूजा का आध्यात्मिक महत्व
सावन मास में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व माना जाता है। इस मौके पर आर्ट ऑफ लिविंग के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह पूजा स्वास्थ्य, समृद्धि और पारिवारिक संतुलन के लिए की जाती है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
संस्कार और शिक्षा का अनोखा संगम
दिवाकरी का सोहम स्कूल जरूरतमंद बच्चों के लिए एक नई रोशनी बनकर उभरा है। यहां हर शाम गरीब और वंचित बच्चों को न केवल शिक्षा दी जाती है, बल्कि भारतीय संस्कृति के संस्कार भी सिखाए जा रहे हैं।
पहले चरण में बच्चों को स्वच्छता, व्यक्तिगत हाइजीन और पढ़ाई से जोड़ने की शिक्षा दी गई। अब अगला कदम है उन्हें आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ज्ञान से जोड़ना, जिसमें यह रुद्र पूजा एक मील का पत्थर साबित हुई है।
दाउदपुर में भी सोनम कौर के नेतृत्व में ऐसी ही कक्षाएं संचालित हो रही हैं, जो निशुल्क हैं और बच्चों को संस्कार व मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान कर रही हैं।
