लोकेशन – हमीरपुर, उत्तर प्रदेश
रिपोर्ट – प्रतीक तिवारी |
शारदीय नवरात्रि के प्रारंभ होते ही उत्तर प्रदेश के गांव-शहर देवी माँ की भक्ति में रंग उठे हैं। जगह-जगह भव्य पंडालों में मां आदिशक्ति की प्रतिमाएं विराजमान हैं, और पूजा-अर्चना का दौर जारी है। इस धार्मिक माहौल में आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे चमत्कारी मंदिर की, जिसे लेकर श्रद्धा और रहस्य दोनों ही गहराई से जुड़े हैं।यह मंदिर है — मां माहेश्वरी धाम, जो उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जनपद में स्थित है।
रहस्य: मंदिर में रात के समय सुनाई देती है पायल की आवाज
भक्तों और स्थानीय पुजारियों का दावा है कि रात के समय मंदिर के भीतर से पायल की आवाजें आती हैं, जबकि उस समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और कोई भी अंदर नहीं होता।इसी मान्यता के चलते रात्रि में मंदिर के कपाट पूर्णतः बंद कर दिए जाते हैं, और किसी भी श्रद्धालु को भीतर प्रवेश की अनुमति नहीं होती। इस पर स्थानीय संत महंत ज्ञानदास का कहना है:
“यह कोई साधारण स्थान नहीं है। माता स्वयं यहां विराजती हैं और रात को उनकी मौजूदगी का अनुभव होता है। पायल की आवाज कोई वहम नहीं, कई भक्तों ने इसे खुद सुना है।”
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व: 52 शक्तिपीठों में 22वां स्थान
मां माहेश्वरी धाम, हमीरपुर मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर, भेड़ी डांडा गांव में स्थित है। मंदिर के ठीक पीछे बेतवा नदी बहती है, जिससे इसकी आध्यात्मिक पवित्रता और बढ़ जाती है।यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से 22वां शक्ति पीठ माना जाता है, और विशेष रूप से चैत्र नवरात्रि में यहां विशाल मेला भी लगता है।
प्रति वर्ष 50 लाख से अधिक श्रद्धालु यहां मां के दर्शन के लिए आते हैं।
चमत्कारी कुंड: कभी नहीं होता सूखा, सीधे पाताल लोक से जुड़ने की मान्यता
मंदिर में स्थित एक रहस्यमयी जलकुंड भक्तों की विशेष आस्था का केंद्र है।
मान्यता है कि इस कुंड का जल कभी सूखता नहीं, चाहे कितनी भी मात्रा में जल निकाला जाए।
इसे लेकर मान्यता है कि यह कुंड सीधे पाताल लोक से जुड़ा हुआ है, और इसकी गहराई आज तक कोई नहीं नाप सका।
यहां आने वाले भक्त कभी-कभी उस कुंड में हाथ डालते हैं और उनके हाथ में चमत्कारिक रूप से लौंग या नींबू का जोड़ा आ जाता है, जिसे शुभ संकेत और मनोकामना पूर्ति का प्रतीक माना जाता है।
