Amethi, Uttar Pradesh: मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र स्थित जनता हॉस्पिटल में प्रसव पीड़िता के ऑपरेशन और इलाज में लापरवाही के चलते हुई मौत के मामले में सीजेएम नवनीत सिंह की अदालत ने सख्त संज्ञान लिया है। कोर्ट ने अस्पताल संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला अमेठी कोतवाली क्षेत्र स्थित पूरे सुरजू शुक्ल-भेंटुआ निवासी 70 वर्षीय वृद्धा करोरा देवी द्वारा दर्ज कराया गया है।
क्या है पूरा मामला?
करोरा देवी के अनुसार, उनकी पुत्री सुमन तिवारी की शादी मुसाफिरखाना कोतवाली क्षेत्र के पूरे रामफल पाण्डेय निवासी आशीष पाण्डेय से हुई थी। 15 सितंबर 2023 को ससुर रामकुमार पाण्डेय प्रसव के लिए सुमन को अपने परिचित डॉक्टर संत तिवारी के जनता अस्पताल ले गए। ऑपरेशन के बाद सुमन ने एक बेटी को जन्म दिया, लेकिन कुछ ही देर में उसकी तबीयत बिगड़ने लगी।
लापरवाही के आरोप
परिजनों के अनुसार, सुमन की तबीयत बिगड़ने के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने विशेषज्ञ की जगह बीएएमएस डिग्रीधारक डॉक्टर संत तिवारी से इलाज कराया। स्थिति गंभीर होने पर जनता हॉस्पिटल ने सुमन को लखनऊ के टेंडरपाम अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। ससुराल वालों ने बिना पोस्टमार्टम कराए ही सुमन का अंतिम संस्कार कर दिया, जबकि मायके पक्ष पोस्टमार्टम की मांग करता रहा।
कोर्ट में हुई सुनवाई
स्थानीय स्तर पर कोई कार्रवाई न होने पर करोरा देवी ने सीजेएम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। पुलिस ने सीएमओ की गठित टीम से मामले की जांच कराई, जिसमें अस्पताल प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई। रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन के दो घंटे बाद ब्लीडिंग होने पर किसी विशेषज्ञ से इलाज कराने की बजाय डॉक्टर संत तिवारी ने खुद ही इलाज जारी रखा, जिससे सुमन की हालत और बिगड़ गई।
कोर्ट के आदेश पर अब एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गई है। इसमें डॉक्टर संत तिवारी सहित अन्य दोषियों की भूमिका सामने आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जांच में खुलासा
सुमन का ब्लड ग्रुप बी-नेगेटिव था, लेकिन ऑपरेशन से पहले ब्लड की व्यवस्था नहीं कराई गई। डॉक्टर संत तिवारी के बयान और मेडिकल रिकॉर्ड में भी अंतर पाया गया। उन्होंने शाम 4 बजे मरीज को रेफर करने की बात कही, जबकि रिकॉर्ड के अनुसार उसी दिन शाम 4:30 बजे जनता हॉस्पिटल में ही सुमन को नोरेड इंजेक्शन दिया गया।
रिपोर्ट – अंकुश यादव

Author: Shivam Verma
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