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Gorakhpur News: गोरखपुर चिड़ियाघर में बाघिन समेत 5 वन्यजीवों की मौत, जिम्मेदारों की लापरवाही उजागर

5 wild animals including tigress died in Gorakhpur zoo
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Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित शाहपुर वन्य जीव उद्यान, जिसे आम बोलचाल में गोरखपुर चिड़ियाघर के नाम से जाना जाता है, में बीते डेढ़ महीने के भीतर पांच वन्यजीवों की मौत ने प्रबंधन की तैयारियों और सतर्कता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। करोड़ों रुपये के बजट खर्च के बावजूद जानवरों की सुरक्षा और देखभाल में भारी खामियां सामने आई हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में स्थित इस चिड़ियाघर में अब तक जिन जानवरों की मौत हुई है, उनमें एक बाघिन, एक तेंदुआ, एक मादा भेड़िया, एक विदेशी पक्षी और एक बाघ शामिल हैं। जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद वन विभाग और प्रशासन हरकत में जरूर आया है, लेकिन अब तक जो नुकसान हो चुका है, उसे लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है।

बर्ड फ्लू से जा रहीं जानें

30 मार्च को सबसे पहले बाघ केसरी की मौत के साथ जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा। 5 मई को मादा भेड़िया भैरवी, 7 मई को बाघिन शक्ति और 8 मई को तेंदुआ मोना की मौत हुई। अब 22 मई को आई रिपोर्ट में आठ और वन्यजीवों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। इनमें बाघिन मैलानी, हिमालयन गिद्ध और तेंदुए के दो शावक शामिल हैं। विदेशी पक्षी काकाटेल की मौत भी इसी दिन हुई, जिसकी रिपोर्ट बाद में पॉजिटिव आई।

कौवों की एंट्री से आया बर्ड फ्लू

जानकारी के अनुसार, चिड़ियाघर के सभी बाड़ों में कौवों की बेरोकटोक आवाजाही है। जांच में यह बात सामने आई कि मृत पाए गए कौवों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि इन्हीं के जरिए संक्रमण वन्यजीवों तक पहुंचा। भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (NIHSAD) से आई रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है।

चिड़ियाघर के उपनिदेशक एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह के अनुसार, संक्रमित पाए गए सभी वन्यजीवों की विशेष निगरानी की जा रही है। बाघिन और हिमालयन गिद्ध की हालत फिलहाल चिंताजनक बताई जा रही है। पशु चिकित्सकों की टीम ने इनके खानपान में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं शामिल कर दी हैं क्योंकि बर्ड फ्लू का कोई तय इलाज नहीं है।

अब जाकर जागे अधिकारी

बर्ड फ्लू की पुष्टि और लगातार होती मौतों के बाद चिड़ियाघर प्रशासन हरकत में आया है। निदेशक विकास यादव के नेतृत्व में सभी बाड़ों को ढकने की योजना पर काम शुरू किया गया है ताकि कौवों की एंट्री रोकी जा सके। रामगढ़ताल के किनारे 121 एकड़ में फैले इस चिड़ियाघर में बाघ, तेंदुआ, शेर, हिरण, बारहसिंगा जैसे कई पशु खुले बाड़ों में रहते हैं। अब इन बाड़ों को ढकने के लिए आवश्यक जाल और चादर का इंतजाम किया जा रहा है।

दिल्ली और उत्तर प्रदेश से आई टीमों ने निरीक्षण के दौरान कई खामियां उजागर की हैं। चिड़ियाघर में करोड़ों खर्च किए गए, लेकिन संक्रमण से निपटने की पूर्व तैयारी न होना, साफ-सफाई में लापरवाही और खुले बाड़ों में बाहरी पक्षियों की आवाजाही जैसी समस्याएं सामने आई हैं।

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

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