Azamgarh News: जिले से दो अलग-अलग दुखद घटनाओं की जानकारी सामने आई है। पहली घटना में एक युवक को रोडवेज की एसी बस में लूट का शिकार बनाया गया, जबकि दूसरी घटना में बस की छत से गिरकर एक खलासी की मौत हो गई। दोनों मामलों ने स्थानीय जनमानस को झकझोर कर रख दिया है।
बस यात्रा के दौरान लूटा गया युवक, बेहोशी की हालत में मिला
आजमगढ़ जनपद के मेहनगर थाना क्षेत्र के रामपुर बढ़ोना गांव निवासी रजत कुमार, पुत्र दिवाकर, 19 जून को आलमबाग, लखनऊ से रात 10:30 बजे जनरथ एसी बस (UP/7523) से आजमगढ़ लौट रहे थे। रजत का कहना है कि रात करीब 12:00 बजे एक अज्ञात यात्री ने, कथित तौर पर बस कंडक्टर की मिलीभगत से, उन्हें नशीला पदार्थ सुंघा दिया जिससे वे बेहोश हो गए।
जब उन्हें होश आया, तब पता चला कि उनके बैग से सोने की अंगूठी (अनुमानित कीमत ₹75,000), ₹5,000 नकद, मोबाइल फोन, एटीएम कार्ड सहित अन्य जरूरी सामान गायब थे। रजत ने आरोप लगाया कि सुबह करीब 3:30 बजे उन्हें बेहोशी की हालत में बस कंडक्टर ने आजमगढ़ के बवाली मोड़ चौराहे पर उतार दिया। ना तो उन्हें किसी अस्पताल ले जाया गया और ना ही पुलिस को सूचना दी गई।
स्थानीय लोगों ने बेहोशी की हालत में रजत को देखकर उनके परिजनों को सूचना दी। परिवार वाले मौके पर पहुंचे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। दो दिन बाद जब रजत को होश आया, तब उन्होंने परिवहन विभाग और शासन को इस संबंध में प्रार्थना पत्र दिया। हालांकि, पीड़ित का कहना है कि अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
रजत ने बताया कि वह फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद यूनिवर्सिटी से माइग्रेशन सर्टिफिकेट बनवाकर घर लौट रहा था, तभी यह घटना घटी। उन्होंने चिंता जताई कि अगर इस मामले में जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो अन्य यात्रियों के साथ भी इस प्रकार की घटनाएं हो सकती हैं।
बस की छत से गिरकर खलासी की मौत, गांव में छाया मातम
एक अन्य घटना में मेहनगर तहसील क्षेत्र के कम्हरिया गांव निवासी 50 वर्षीय चंद्रशेखर सिंह उर्फ राजन, जो एक प्राइवेट बस में खलासी का काम करते थे, रविवार देर शाम वाराणसी जाते समय हादसे का शिकार हो गए। बताया जा रहा है कि चौबेपुर में एक यात्री का सामान उतारने के दौरान जब वे बस की छत से नीचे उतर रहे थे, तभी उनका पैर फिसल गया और वे जमीन पर गिर पड़े।
गंभीर रूप से घायल चंद्रशेखर को तत्काल बस चालक और उनके बेटे द्वारा वाराणसी के कबीर चौरा स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। सूचना मिलते ही उनके परिजन भी अस्पताल पहुंचे, लेकिन देर रात इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई . चंद्रशेखर के परिवार में पत्नी सरिता सिंह, एक पुत्र और एक पुत्री हैं। जैसे ही मृतक का शव गांव पहुंचा, पत्नी सरिता बेसुध होकर दहाड़ें मारने लगीं। इस हृदयविदारक दृश्य ने वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम कर दीं।
चंद्रशेखर मऊ के मधुबन बाजार से चिरैयाकोट, खरिहानी होते हुए वाराणसी जाने वाली बस में खलासी के तौर पर कार्यरत थे। उनके असमय निधन से परिवार पर गहरा संकट टूट पड़ा है और पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है।

Author: Shivam Verma
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