Akhilesh Yadav Reached Rampur : समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव आज रामपुर पहुंचे, जहां उनका जबरदस्त स्वागत किया गया। सबसे खास बात यह रही कि अखिलेश यादव को रिसीव करने के लिए खुद पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान जौहर यूनिवर्सिटी पहुंचे। वहां से दोनों नेता एक ही गाड़ी में बैठकर आजम खान के घर के लिए रवाना हुए। यह मुलाकात न सिर्फ भावनात्मक रही, बल्कि इसके गहरे राजनीतिक संकेत भी हैं।
राजनीतिक पारा चढ़ा, अटकलों पर लगा विराम
आजम खान के बीते कुछ समय से बसपा में शामिल होने की अटकलें चल रही थीं, जिसे लेकर समाजवादी पार्टी में हलचल थी। इस पृष्ठभूमि में अखिलेश यादव का यह दौरा और आजम खान से उनकी यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बसपा की 9 अक्टूबर को लखनऊ में होने वाली रैली से ठीक एक दिन पहले अखिलेश-आजम की यह भेंट राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है। इससे यह स्पष्ट संकेत गया है कि आजम अभी भी सपा के साथ हैं और उनके दल-बदल की अटकलें बेबुनियाद हैं।
प्रशासन से टकराव, सपा का सख्त स्टैंड
अखिलेश यादव बरेली एयरपोर्ट तक चार्टर फ्लाइट से पहुंचे, लेकिन प्रशासन ने सड़क मार्ग से रामपुर जाने की अनुमति नहीं दी, जिससे कुछ देरी हुई। बावजूद इसके, सपा कार्यकर्ताओं ने फूल मालाओं और नारों के साथ उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
सपा ने प्रशासन की रूट बदलने की अपील को ठुकरा दिया और अखिलेश यादव अपने तय रूट से ही रामपुर पहुंचे — जो यह दर्शाता है कि पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं के सम्मान और संकल्प के साथ कोई समझौता नहीं करेगी।
मुस्लिम-यादव समीकरण को फिर से मजबूत करने की कोशिश
इस मुलाकात को सपा के पारंपरिक ‘MY समीकरण’ (मुस्लिम-यादव) को फिर से मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। आजम खान लंबे समय से सपा के मुस्लिम चेहरे रहे हैं। उनकी नाराजगी और कानूनी उलझनों के चलते सपा की मुस्लिम वोट बैंक पर पकड़ ढीली पड़ने की चर्चाएं थीं।
अब अखिलेश यादव द्वारा खुद जाकर उनसे मुलाकात करना यह दर्शाता है कि पार्टी उन्हें किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहती और एकजुटता का संदेश देना चाहती है।
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह मुलाकात 2024 और 2027 की चुनावी तैयारियों का हिस्सा है। एक तरफ बसपा मुस्लिम वोटबैंक को लुभाने में जुटी है, तो दूसरी ओर सपा अपने पुराने और भरोसेमंद चेहरों को साथ बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रही है।
