Translate Your Language :

Home » धर्म » Bajrang Baan Lyrics in Hindi: श्री बजरंग बाण पाठ लिरिक्स हिन्दी में

Bajrang Baan Lyrics in Hindi: श्री बजरंग बाण पाठ लिरिक्स हिन्दी में

Bajrang Baan Path Lyrics in Hindi, Bajrang Baan PDF
Facebook
X
WhatsApp

Bajrang Baan Lyrics: हिन्दू धर्म में मगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इसके अतिरिक्त हनुमान जयंती व ज्येष्ठ मास को हनुमान जी की उपासना के लिए अत्यंत ही उत्तम माना जाता है, जिसमे भक्तजन हनुमान जी की पूजा पाठ करते हैं। इन्हीं पाठ में बजरंग बाण का पाठ बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस पाठ में हनुमान जी को राम जी की शपथ दिलाई जाती है। इसलिए किसी सामान्य इच्छा के लिए बजरंग बाण का पाठ नहीं करना चाहिए।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

मान्यता है कि यदि किसी गलत या ओंछी इच्छापूर्ति (मनोकामना) के लिए यदि हम बजरंग बाण का पाठ करते हैं, तो इसके नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं। इस पाठ से बहुत शीघ्र ही मनोकामनाए पूरी होती हैं।

श्री बजरंग बाण पाठ

॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥
जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥
बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥

यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥
यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

॥ दोहा ॥
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

इन्हें भी पढ़ें-

 

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ताजा खबरें