Banda News: रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज का पोस्टमार्टम हाउस गुरुवार की शाम ऐसा मंजर बन गया जहां ग़म, दर्द और बेबसी का सैलाब सा बहता दिखा। सात शवों के पोस्टमार्टम के दौरान परिजनों का करुण विलाप ऐसा था कि वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भीग उठीं। अलग-अलग घटनाओं में मारे गए लोगों की मौतें जहां सवालों से भरी रहीं, वहीं परिजनों के लिए ये पल असहनीय पीड़ा का कारण बन गए।
10 साल की बच्ची और 14 साल के लड़के की आत्महत्या बनी पहेली
बदौसा थाना क्षेत्र के पौहार गांव अंतर्गत खैरी पुरवा की 10 वर्षीय नंदिनी की आत्महत्या ने सभी को चौंका दिया। परिजन हैरान हैं कि इतनी छोटी उम्र की मासूम ने ऐसा कदम क्यों उठाया। जानकारी के मुताबिक, नंदिनी ने बागेन नदी के किनारे एक आम के पेड़ से फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। वे यही कहते रहे कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि नंदिनी ने ऐसा क्यों किया।
इसी तरह, गिरवा थाना क्षेत्र के माधवपुर गांव में 14 वर्षीय दीपक की खुदकुशी ने भी सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। दीपक ने फांसी लगाकर जान दे दी। परिवार वाले बार-बार यही दोहराते रहे कि दीपक ऐसा क्यों करेगा, वह तो हमेशा हंसता-खेलता रहता था।
सड़क हादसे बने चार परिवारों की ज़िंदगी का सबसे काला दिन
सड़क दुर्घटनाओं में मौत का कहर इस बार भी जारी रहा।
- बांदा-फतेहपुर मार्ग पर तिंदवारी थाना क्षेत्र के चंदौखी गांव के पास एक ट्रक ने बाइक सवारों को टक्कर मार दी। इस हादसे में बेंदा निवासी 20 वर्षीय सुमित की मौके पर मौत हो गई, जबकि उसका साथी रोहित गंभीर रूप से घायल हो गया।
- इसी इलाके में एक और हादसे में आगरा के सूबे पुरवा निवासी 40 वर्षीय प्रदीप, जो एक ट्रक चालक थे, टायर फटने के कारण जान गंवा बैठे। वह ट्रक में टायर लगा रहे थे, तभी धमाके के साथ टायर फटा और हादसे ने जान ले ली।
- बबेरू थाना क्षेत्र के कायल गांव में एक ट्रैक्टर पलट गया। इस हादसे में ट्राली के नीचे दबकर 19 वर्षीय अखिलेश की मौत हो गई।
- क्योंटरा क्रॉसिंग के पास ट्रेन से गिरकर छाबी तालाब के 28 वर्षीय गुलाब वर्मा की भी जान चली गई।
इन तमाम घटनाओं ने न सिर्फ सात घरों के चिराग बुझा दिए, बल्कि पोस्टमार्टम हाउस में चीख-पुकार और सिसकियों से माहौल को बेहद गमगीन बना दिया। वहां मौजूद हर किसी का दिल द्रवित हो उठा।
नियति के वार के आगे बेबस परिजन
इन दर्दनाक घटनाओं के बीच पोस्टमार्टम हाउस के बाहर परिजनों की आंखों में आंसू और चेहरे पर बेबसी साफ दिखाई दे रही थी। किसी मां ने बेटे को खो दिया, किसी बहन का भाई चला गया, तो किसी बाप की बेटी हमेशा के लिए विदा हो गई। कई महिलाएं बार-बार बेहोश हो रहीं थीं, तो कई बुजुर्गों की आंखों से आंसू रुक ही नहीं रहे थे।

Author: Shivam Verma
Description