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Barabanki News: बाराबंकी में किसानों की खेतों में सड़ रही मेहनत, टमाटर की फसल के न मिल रहे अच्छे दाम और न ही खरीददार

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Barabanki News: जिले के सिरौलीगौसपुर क्षेत्र समेत पूरे बाराबंकी में टमाटर की खेती करने वाले किसान इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहे हैं। जिन खेतों में कभी मेहनत, उम्मीद और मुनाफे की फसल लहलहाती थी, वहां आज टमाटर सड़ रहे हैं। न खरीदार हैं, न कीमत। और जो व्यापारी हैं, वे या तो मुंह मोड़ रहे हैं या इतने कम दाम दे रहे हैं कि किसान की लागत भी नहीं निकल पा रही।

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किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं हालात

सिरौलीगौसपुर के पीठापुर गांव के किसान पवन कुमार ने उम्मीद के साथ 10 बीघा जमीन पर टमाटर की फसल बोई थी। एक व्यापारी ने फसल खरीदने का भरोसा दिया, लेकिन जब टमाटर तैयार हुआ और पवन ने तुड़ाई शुरू कर दी, तो वह व्यापारी फोन से ही गायब हो गया। अब उनके खेतों में टनों टमाटर पड़े-पड़े सड़ने लगे हैं।

आनंद कुमार ने 4 बीघा में टमाटर उगाए थे, जिस पर करीब 50 हजार रुपये का खर्च आया। लेकिन बाजार में उन्हें 25 से 28 किलो के एक कैरेट का सिर्फ 60 रुपये मिल रहा है। इस दाम से न सिर्फ मुनाफा दूर की बात है, बल्कि तुड़ाई और परिवहन की लागत भी नहीं निकल पा रही।

व्यापारी भी दे रहे हैं धोखा

सफदरगंज थाना क्षेत्र के चौलिया गांव के व्यापारी गुड्डू पर किसानों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। किसानों का कहना है कि गुड्डू ने उनसे 80 रुपये प्रति कैरेट की दर से टमाटर खरीदा, लेकिन अब वह भुगतान नहीं कर रहा और फोन भी नहीं उठा रहा है।

रोहित कुमार, रामू किशोर, प्रवीण कुमार, धीरज कुमार, और कल्लू जैसे सैकड़ों किसान इसी संकट से जूझ रहे हैं। कुछ महीने पहले इन्हीं किसानों को खरबूजा और तरबूज की खेती में भारी नुकसान हुआ था, अब टमाटर की फसल भी घाटे का सौदा बन गई है।

प्रशासन से मदद की उम्मीद

हालात से हताश किसान अब प्रशासन की ओर देख रहे हैं। किसानों की मांग है कि ऐसे धोखेबाज व्यापारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाया जाए। किसानों ने यह भी मांग की है कि सरकार मंडी व्यवस्था को मजबूत करे, गांवों में सब्जी संग्रहण केंद्र बनाए और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसी योजना टमाटर जैसी सब्जियों के लिए भी लागू करे।

यह पहली बार नहीं है जब किसानों को सब्जी की फसल में नुकसान हुआ हो। मौसमी बदलाव, बाजार की अनिश्चितता और व्यापारी तंत्र की मनमानी ने बार-बार किसानों को चोट पहुंचाई है। लेकिन हर बार किसान फिर खड़ा होता है, फिर बीज डालता है, इस उम्मीद में कि अगली बार हालात बेहतर होंगे।

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

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