रिपोर्ट : सोनू कुमार, भागलपुर
दिनांक – 06 सितंबर 2025
Bhagalpur : बिहार में एक ओर जहां विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज़ हो रही है, वहीं दूसरी ओर बाढ़ की विभीषिका ने कई इलाकों में लोगों की ज़िंदगी तबाह कर दी है। भागलपुर जिले के नाथनगर विधानसभा क्षेत्र में हालात सबसे ज़्यादा भयावह हैं। गांवों और कस्बों में बाढ़ का पानी घरों में घुस चुका है, लोगों के आशियाने उजड़ गए हैं और जीवन यापन का साधन केवल सत्तू बनकर रह गया है।
राहत से पहले बर्बादी पहुंची
स्थानीय लोगों का कहना है कि बाढ़ के बाद अब तक न तो राहत सामग्री पहुंची है और न ही कोई स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई गई है। लोग मजबूर होकर पेड़ के पत्तों, सत्तू और पानी के सहारे दिन काट रहे हैं। गांवों में स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और सड़कों तक पानी से डूब चुके हैं।
एक स्थानीय महिला ने रोते हुए कहा:
“हमारे पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं, बच्चों के लिए दूध नहीं है, और रहने को छत नहीं बची। अगर सरकार वोट मांगने आई, तो चप्पल से स्वागत करेंगे।”
वोट बहिष्कार की चेतावनी
बाढ़ प्रभावित कई पंचायतों में लोगों ने वोट बहिष्कार की चेतावनी देते हुए बैनर और पोस्टर लगा दिए हैं। ग्रामीणों की साफ मांग है कि जब तक क्षेत्र में रिंग बांध का निर्माण नहीं होता, वे मतदान नहीं करेंगे। उनका कहना है कि चुनाव के समय नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन बाढ़ जैसे संकट में कोई सुध लेने नहीं आता।
विधायक पर आरोप, जनता में गुस्सा
नाथनगर के मौजूदा विधायक अली अशरफ सिद्दीकी पर भी स्थानीय लोगों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विधायक ने आज तक क्षेत्र का दौरा तक नहीं किया, और कई लोग तो उन्हें पहचानते भी नहीं हैं। यह उपेक्षा लोगों के गुस्से को और बढ़ा रही है।
“हर घर नल-जल योजना” की सच्चाई उजागर
बिहार सरकार की बहुप्रचारित “हर घर नल-जल” योजना की पोल भी बाढ़ ने खोल दी है। ग्रामीणों ने तंज कसते हुए कहा:
“सरकार का नल-जल तो घर नहीं पहुंचा, लेकिन बाढ़ का पानी ज़रूर पहुंच गया।”
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रिंग बांध का निर्माण
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हर घर तक स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था
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मेडिकल कैंप और राहत सामग्री की आपूर्ति
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चुनावी वादों पर सरकार की जवाबदेही
राजनीतिक संकट की आहट
बिहार में इस समय बाढ़ की स्थिति केवल मानवीय संकट नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकट भी बनती जा रही है। अगर सरकार ने समय रहते लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया, तो आने वाले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
