Bulandshahr News: एक ओर सरकार ग्रामीण शिक्षा को सुधारने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर बुलंदशहर जिले के खुशहालपुर गांव के समाजसेवी सुबोध शर्मा अपने निजी संसाधनों से गांव के प्राथमिक विद्यालय को एक आदर्श स्कूल बनाने की दिशा में लगे हुए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनके इस अनुकरणीय योगदान के लिए हाल ही में जिलाधिकारी कार्यालय में CDO कुलदीप मीना और BSA डॉ.लक्ष्मीकांत ने उन्हें सम्मानित किया।
सुबोध शर्मा का मानना है कि “देश की असली ताकत गांवों में बसती है। अगर गांव के बच्चे मजबूत नींव के साथ पढ़-लिख जाएं, तो भारत का भविष्य और भी उज्जवल हो सकता है।” इसी सोच के साथ वे बीते डेढ़ वर्षों से खुशहालपुर गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय संख्या-2 में बदलाव के लिए पूरी तरह से लगे हैं।
निजी खर्च से स्कूल में किए गए बदलाव
सुबोध शर्मा ने बच्चों की शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए स्कूल में स्मार्ट क्लास की शुरुआत करवाई। उन्होंने अपनी जेब से बड़ी LED स्क्रीन लगवाई, जिससे बच्चे टेक्नोलॉजी से भी जुड़ सकें। साथ ही स्कूल की दीवारों की रंगाई-पुताई करवाई, हरियाली बढ़ाने के लिए पौधे लगवाए, और फर्नीचर की भी बेहतर व्यवस्था की।
खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने खेल सामग्री भी खुद खरीदकर दी। इससे बच्चों में खेल के प्रति रुचि तो बढ़ी ही, साथ ही उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता भी निखरने लगी। प्रधानाध्यापक यशवी गोयल के सहयोग से वे बच्चों की हर शैक्षिक आवश्यकता को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। सुबोध शर्मा का कहना है कि अब तक लगभग 8 लाख रुपये का खर्च उन्होंने स्कूल में सुधार कार्यों पर कर चुके हैं।
बच्चों को उच्च स्तरीय शिक्षा और स्कूल में लाइब्रेरी का है लक्ष्य
सुबोध शर्मा अब स्कूल में एक लाइब्रेरी शुरू करने की योजना बना रहे हैं, जिससे बच्चों को किताबों की अच्छी उपलब्धता हो सके। उनका कहना है कि अगर सरकार स्कूल में एक कमरा दे दे, तो वे उसे एक आदर्श पुस्तकालय में बदलने के लिए तैयार हैं।
उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी शिक्षा से जुड़ी रही है। उनके पिता मूलचंद गौर एक प्रतिष्ठित विद्यालय में प्रधानाचार्य रह चुके हैं और परिवार के कई सदस्य देश-विदेश में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। खुद सुबोध शर्मा भी संपन्न किसान हैं और ग्रेटर नोएडा में करीब 50 बीघा जमीन के मालिक हैं, लेकिन उनका सपना कुछ और है।
गरीब बच्चे को IAS बनाने का लक्ष्य
सुबोध शर्मा ने एक गरीब बच्चे को गोद लिया है। वे उसे अपनी संतान की तरह पाल-पोस रहे हैं और एक अच्छे स्कूल में उसकी शिक्षा भी करवा रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि यह बच्चा एक दिन आईएएस अधिकारी बने और समाज में बदलाव लाने की मिसाल पेश करे। वर्तमान में यह बच्चा आठवीं कक्षा में पढ़ रहा है और उसकी पढ़ाई में कोई कमी न रह जाए, इसके लिए सुबोध हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

Author: Shivam Verma
Description