Chandauli News: चंदौली जनपद के सकलडीहा तहसील क्षेत्र के निदिलपुर गांव में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया। यहां रहने वाले अनिल गिरी को सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया था, जबकि वे पूरी तरह स्वस्थ और जीवित हैं। अपनी ही ज़मीन के हक़ के लिए अनिल गिरी को वर्षों तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े। लेकिन जब यह मामला समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू के संज्ञान में आया, तो हालात बदलते नजर आए।
फर्जी तरीके से किया गया मृत घोषित
अनिल गिरी की ज़मीन, जो करी गांव के आराजी संख्या 624 में स्थित है और लगभग 8 बिस्वा है, उसे गांव के ही एक व्यक्ति के नाम दर्ज कर दिया गया था। यह सब उस वक्त हुआ जब गांव के लेखपाल ने कागजों में उन्हें मृत घोषित कर दिया। अनिल गिरी ने कई बार अधिकारियों को अपनी आपबीती सुनाई, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
उनकी सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि उन्हें खुद को ज़िंदा साबित करने के लिए सबूत जुटाने पड़े, जबकि वे खुद सामने खड़े थे। सरकारी तंत्र की यह लापरवाही उनके लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं थी।
पूर्व विधायक ने उठाई आवाज़
इस गंभीर और संवेदनशील मामले की जानकारी जब समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू को हुई, तो वे तुरंत निदिलपुर गांव पहुंचे और अनिल गिरी से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ित की बात को गंभीरता से सुना और पूरे मामले की जानकारी जुटाई।
इसके बाद उन्होंने जिलाधिकारी से तत्काल संपर्क कर जांच और कार्रवाई की मांग की। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर समय रहते न्याय नहीं मिला तो वे बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
प्रशासन ने की त्वरित कार्रवाई
पूर्व विधायक के दबाव और जनता की बढ़ती नाराजगी के बीच प्रशासन हरकत में आया। अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित जांच करवाई। जांच में अनिल गिरी को मृत घोषित करना गलत पाया गया और अंततः उनकी जमीन फिर से उनके नाम कर दी गई।
यह घटना अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है। लोग हैरान हैं कि कैसे एक जीवित व्यक्ति को सरकारी दस्तावेजों में मृत दिखाया गया और कैसे एक जनप्रतिनिधि के हस्तक्षेप से वह “फिर से ज़िंदा” हो गया।

Author: Shivam Verma
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