Chandauli News: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले से एक राजनीतिक बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। मामला सदर नगर पंचायत के चेयरमैन पद के लिए भाजपा प्रत्याशी रहे ओमप्रकाश सिंह का है, जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर एक ऐसा नारा पोस्ट कर दिया, जो लोगों को हैरान कर गया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा— “योगी जी अमर रहें”। यह वाक्य तुरंत ही वायरल हो गया और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।
क्या है पूरा मामला?
गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन था। इस मौके पर पूरे प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं ने उत्सव मनाया, केक काटा, उनके चित्रों पर पुष्प अर्पित किए और दीर्घायु की कामना की। इसी क्रम में चंदौली के सदर नगर पंचायत से भाजपा के चेयरमैन पद के पूर्व प्रत्याशी ओमप्रकाश सिंह ने भी सोशल मीडिया पर बधाई संदेश दिया, लेकिन उन्होंने एक ऐसी पंक्ति जोड़ दी जिसने पूरे संदेश की दिशा ही बदल दी। उन्होंने लिखा- “योगी जी अमर रहें”।
सोशल मीडिया यूजर्स ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया। कई लोगों ने इस नारे को “हास्यास्पद” और “भाषाई चूक” बताया। यूजर्स का कहना था कि “अमर रहें” जैसे शब्दों का प्रयोग सामान्यतः दिवंगत महान हस्तियों के लिए किया जाता है, न कि किसी जीवित व्यक्ति के जन्मदिन पर।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़
इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की झड़ी लग गई। किसी ने लिखा— “ओपी सिंह ने तो योगी जी को जीते-जी ही अमर कर दिया,” तो किसी ने तंज कसते हुए कहा— “भाजपा में अब जन्मदिन पर भी श्रद्धांजलि दी जाती है क्या?”।
कुछ लोगों ने इसे भावनात्मक भूल बताया, तो कुछ ने इसे “भाजपा कार्यकर्ताओं की अति-श्रद्धा” से जोड़ते हुए कटाक्ष किए। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर खूब बहस छिड़ गई, और यह पोस्ट देखते ही देखते राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का कारण बन गई।
ओमप्रकाश सिंह ने मांगी माफ़ी
बढ़ते विवाद के बाद भाजपा नेता ओमप्रकाश सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि यह एक “अनजाने में हुई गलती” थी। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से माफ़ी भी मांगी और कहा कि उनका उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था।
इस मामले को लेकर विपक्ष ने भी भाजपा को घेरने में देर नहीं की। समाजवादी पार्टी के एक स्थानीय पदाधिकारी ने बयान दिया कि “भाजपा नेताओं को अपने शब्दों के चयन पर ध्यान देना चाहिए। जीते जी किसी को अमर घोषित करना न केवल भाषाई त्रुटि है बल्कि नेतृत्व की समझ पर भी सवाल खड़ा करता है।”

Author: Shivam Verma
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