Chandauli News: जिले की नौगढ़ तहसील स्थित सबसे बड़ी ग्राम पंचायत बाघी इन दिनों बदहाल सफाई व्यवस्था और प्रशासनिक अनदेखी की गंभीर मार झेल रही है। गंदगी से पटी गलियां, बजबजाती नालियां और आस-पास फैला कचरा ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। लेकिन इससे भी चिंताजनक बात यह है कि इस समस्या को दूर करने के लिए महीनों पहले दिए गए प्रशासनिक आदेश आज भी सिर्फ कागज़ों में दबे पड़े हैं।
आदेश हुआ, पर अमल नहीं
बाघी पंचायत में वर्तमान समय में मात्र एक सफाईकर्मी की तैनाती है, जबकि गांव की आबादी और क्षेत्रफल को देखते हुए कम से कम चार सफाईकर्मियों की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) द्वारा तीन अतिरिक्त सफाईकर्मियों की नियुक्ति का आदेश पहले ही जारी कर दिया गया था। आदेश में प्रेम नारायण (जमसोत), कृष्ण कुमार (पथरौर) और प्रमोद (नौडिहवा) को बाघी पंचायत में ड्यूटी पर लगाया गया था।
लेकिन कहां हैं ये सफाईकर्मी?
जमीनी हकीकत यह है कि आदेश जारी होने के महीनों बाद भी इन तीनों में से एक भी सफाईकर्मी ने बाघी पंचायत में योगदान नहीं दिया। कृष्ण कुमार ने तो आदेश लेना ही मुनासिब नहीं समझा और मेडिकल छुट्टी पर चले गए। प्रमोद ने आदेश तो प्राप्त किया, लेकिन अब तक गांव में पहुंचे नहीं। प्रेम नारायण की स्थिति को लेकर तो पंचायत के लोग भी अनभिज्ञ हैं – किसी को नहीं पता कि वह कहां हैं और कब आएंगे।
प्रशासनिक आदेशों की उड़ती धज्जियां
बाघी ही नहीं, आस-पास के अन्य गांवों में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। हरदहवा से देवखत स्थानांतरित किए गए सफाईकर्मी नंदलाल ने भी आदेश के बावजूद अब तक योगदान नहीं दिया। ऐसे में सवाल उठता है – क्या सफाईकर्मी प्रशासनिक आदेशों को गंभीरता से ले भी रहे हैं?
डीपीआरओ से संपर्क असफल
इस पूरे मामले पर जब डीपीआरओ नीरज कुमार सिन्हा से संपर्क करने की कोशिश की गई तो कोई बात नहीं हो सकी। इससे लोगों के मन में यह सवाल और गहरा हो गया कि जब जिम्मेदार अधिकारी ही उपलब्ध नहीं हैं, तो आखिर इन अनियमितताओं का जवाबदेह कौन है? गांव के निवासियों का कहना है कि सफाई व्यवस्था की बदहाली से बच्चों और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। ग्रामीण प्रशासन से अपील कर रहे हैं कि आदेशों को कागज़ों से निकाल कर ज़मीन पर उतारा जाए और जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

Author: Shivam Verma
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