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Shani Stotra: दशरथ कृत शनि स्तोत्र, हर शनिवार पढ़ने से होती है कृपा

Dashrath Krit Shani Stotra, दशरथ कृत शनि स्तोत्र
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शनि देव को हिन्दू धर्म में न्याय के देवता और कर्मों के फलदाता के रूप में पूजा जाता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भक्त विभिन्न उपाय (पूजा पाठ, व्रत और जाप) करते हैं, जिनमें दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ (Shani Stotra Ka Path) विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह स्तोत्र राजा दशरथ द्वारा रचित है और शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए एक आसान तरीका है।

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दशरथ कृत शनि स्तोत्र

नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरुमे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।

इति दशरथ कृत शनि स्तोत्र संपूर्णम।

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

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