हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य जैसे- शादी, विवाह, गृह प्रवेश या अन्य कोई भी उत्सव व त्यौहार होने पर गणेश जी की पूजा जरूर की जाती है। क्योंकि गणेश जी को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना जाता है, जिससे यदि शुरुआत में गणेश जी की पूजा की जाती है तो सभी कार्य निर्विघ्न पूर्ण हो जाते हैं। इसके साथ ही बुधवार का दिन गणेश जी की पूजा के लिए अति उत्तम माना जाता है। साथ ही हर माह की गणेश चतुर्थी, और संकष्टी चतुर्थी को भी गणेश जी की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। इन सभी पूजाओं में गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti) जय गणेश, जय गणेश देवा अवश्य ही गाई जाती है। चलिये गणेश जी की आरती के लिरिक्स पढ़ते हैं…
गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
हार चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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