Hardoi News: जिले का मेडिकल कॉलेज जहां लोगों के लिए जीवनरक्षक केंद्र होना चाहिए, वहीं अब यह खुद मरीजों की परेशानी का कारण बन गया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, उपकरणों की अनुपलब्धता और प्रशासनिक लापरवाही के चलते हरदोई मेडिकल कॉलेज अब एक रेफरल सेंटर बनकर रह गया है। गंभीर मरीजों को उपचार के बजाय लखनऊ या अन्य शहरों के लिए रेफर किया जा रहा है, जिससे कई जिंदगियां समय से पहले खत्म हो रही हैं।
समय पर नहीं मिल पा रहा इलाज
बीती 29 अक्तूबर को सुरसा थाना क्षेत्र के सरदारगंज बेरिया निवासी नन्हे लाल सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। परिजन उन्हें तत्काल हरदोई मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे, लेकिन आकस्मिक चिकित्सा कक्ष के डॉक्टरों ने उनकी गंभीर स्थिति देखते हुए उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया। रास्ते में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
यह कोई अकेला मामला नहीं है – हर रोज बड़ी संख्या में मरीजों को इसी तरह रेफर किया जाता है। आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में रोजाना लगभग 200 मरीज पहुंचते हैं, जिनमें से कई को आवश्यक सुविधाएं न होने के कारण बाहर भेज दिया जाता है। स्थानीय लोगों का सवाल – “जब सब कुछ लखनऊ ही भेजना है तो मेडिकल कॉलेज क्यों?”
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर कॉलेज में पर्याप्त विशेषज्ञ और आधुनिक मशीनें होतीं, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।
भरिगवां के हरसिंगपुर गांव निवासी सुंदरलाल अपने बेटों पारूल और अमर सिंह के साथ गंगा स्नान जा रहे थे, जब बिलग्राम के पास उनकी बाइक को पिकअप ने टक्कर मार दी। तीनों को मेडिकल कॉलेज लाया गया, मगर सुंदरलाल और पारूल की गंभीर स्थिति बताकर लखनऊ रेफर कर दिया गया। रास्ते में ही दोनों की मौत हो गई।
इसी तरह 23 अक्तूबर को हरपालपुर के सुदनीपुर गांव के मोहन नामक बालक खौलती कढ़ाई में गिर गया। मेडिकल कॉलेज में केवल प्राथमिक उपचार के बाद उसे भी लखनऊ भेजा गया। बाद में वहां उसकी हालत में सुधार हुआ। सवाल उठता है — क्या हर मामूली गंभीर मरीज को बाहर भेजना ही समाधान है?
ट्रॉमा सेंटर : सिर्फ इमारत, सुविधाएं नदारद
हरदोई में वर्ष 2016 में ट्रॉमा सेंटर का निर्माण इस उद्देश्य से किया गया था कि सड़क हादसे या गंभीर मरीजों को तत्काल उपचार मिल सके। लेकिन आज यह सेंटर सिर्फ एक खाली इमारत बनकर रह गया है।
यहां न तो विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही आवश्यक चिकित्सा उपकरण। जो संसाधन पहले उपलब्ध कराए गए थे, वे रखरखाव के अभाव में खराब हो चुके हैं। विभागीय खींचतान और लापरवाही ने इस परियोजना को बेअसर बना दिया है। प्रशासन का दावा — “नया ट्रॉमा सेंटर निर्माणाधीन, सुविधाएं बेहतर होंगी”
मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि एक नया 50 बेड का ट्रॉमा सेंटर निर्माणाधीन है, जिसमें आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं और विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात किए जाएंगे।
साथ ही, गौरा डांडा में सीसीयू यूनिट की भी स्थापना की जा रही है।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जे.बी. गोगोई ने बताया, “भविष्य में गंभीर मरीजों को बेहतर उपचार मिल सके, इसके प्रयास जारी हैं। तब तक इमरजेंसी सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है।”
मरीजों की बढ़ती परेशानी
फिलहाल, जिले के मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ या अन्य शहरों का रुख करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती, वेंटिलेटर जैसी जरूरी सुविधाएं और ट्रॉमा सेंटर का संचालन जल्द शुरू कराए। जब तक यह नहीं होता, तब तक हरदोई के मरीजों की जिंदगियां प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ती रहेंगी।
Author: Shivam Verma
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