Lucknow News: करीब ढाई दशक तक अदालत में चली सुनवाई के बाद लखनऊ की एडीजे कोर्ट ने एक ऐसे मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था। वर्ष 2000 में पत्रकार मनोज सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की निर्मम हत्या के मामले में दोषी पाए गए नरभक्षी राजा कोलंदर और उसके साले बक्षराज को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। साथ ही दोनों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
पत्रकार की हत्या से खुली थी नरसंहार की परतें
यह मामला 22 वर्षीय पत्रकार मनोज सिंह और उनके ड्राइवर के अपहरण और हत्या से जुड़ा हुआ है। जांच में पता चला कि पत्रकार धीरेंद्र सिंह (मनोज के भाई) को राजा कोलंदर की आपराधिक गतिविधियों की जानकारी मिल चुकी थी। उन्होंने एक हत्या के मामले में कोलंदर को नामजद करते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इससे नाराज होकर राजा कोलंदर ने उन्हें अपना दुश्मन मान लिया और उनकी हत्या की योजना बना डाली।
फार्म हाउस पर रची गई थी साजिश
पुलिस की पूछताछ में कोलंदर ने बताया कि घटना वाले दिन वह अपने शंकरगढ़ स्थित पिपरी फार्म हाउस में था। ठंड के मौसम में अलाव जल रहा था, वहीं उसने पत्रकार धीरेंद्र को बुलाया। बातचीत के दौरान, राजा कोलंदर के साले बक्षराज ने अचानक धीरेंद्र को गोली मार दी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
राजा कोलंदर और उसके साले की क्रूरता यहीं नहीं रुकी। उन्होंने शव को टाटा सूमो में लादा और मध्यप्रदेश सीमा की ओर ले गए। वहां जाकर पहले तो पत्रकार धीरेंद्र का सिर और लिंग काट डाला। शरीर के विभिन्न हिस्सों को खेतों में दफन कर दिया और सिर को एक पन्नी में लपेटकर रीवा के बाणसागर तालाब में फेंक दिया गया।
पुलिस को मिली खौफनाक डायरी
जब पुलिस ने कोलंदर के फार्म हाउस की तलाशी ली, तो वहां से एक डायरी बरामद हुई जिसमें कई अन्य हत्याओं का ज़िक्र था। डायरी में अशोक कुमार, मुइन, संतोष और काली प्रसाद जैसे लोगों की हत्या की बात लिखी थी। फार्म हाउस की खुदाई में इन सभी के सिर भी बरामद हुए। पूछताछ में कोलंदर ने कुल 14 हत्याओं को अंजाम देने की बात स्वीकार की।
इस केस की सबसे चौंकाने वाली जानकारी तब सामने आई जब राजा कोलंदर ने अपने एक कर्मचारी, काली प्रसाद श्रीवास्तव की हत्या का कारण बताया। उसने बताया कि वह कायस्थ बिरादरी के लोगों को अत्यधिक बुद्धिमान मानता था और इसी वजह से उसने काली प्रसाद की हत्या कर दी। हत्या के बाद वह उसकी खोपड़ी के टुकड़े बनाकर उन्हें भूंज कर खाता रहा। इतना ही नहीं, उसने दिमाग उबालकर उसका सूप बनाकर पिया, जिससे उसका खुद का दिमाग तेज हो जाए – ऐसा उसका मानना था।
25 साल बाद मिला इंसाफ
करीब 25 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अंततः पीड़ित परिवार को इंसाफ मिला। अदालत ने राजा कोलंदर और बक्षराज को उम्रकैद की सजा सुनाई, जो इस क्रूर और रोंगटे खड़े कर देने वाले मामले में एक निर्णायक मोड़ है।

Author: Shivam Verma
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