Lucknow News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार को बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। बिजली घर शक्तिभवन पर जुटे सैकड़ों कर्मचारियों ने पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी भी की गई – “देश बेचना बंद करो”, “पावर कॉर्पोरेशन मुर्दाबाद” जैसे नारों से पूरा इलाका गूंज उठा।
यह विरोध प्रदेश के विभिन्न जिलों और विद्युत परियोजनाओं में भी देखने को मिला। लखनऊ में प्रदर्शन के दौरान लेसा, मध्यांचल, ईटीआई, एसएलडीसी और ट्रांसमिशन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। संविदाकर्मी और अभियंता भी इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर शामिल हुए।
प्रदर्शन के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने पावर कॉर्पोरेशन पर बड़े आरोप लगाए। उनका कहना था कि प्रबंधन जानबूझ कर घाटा बढ़ा चढ़ाकर दिखा रहा है, ताकि निजीकरण का रास्ता साफ हो और कॉरपोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचे।
उन्होंने कहा, “पावर कॉर्पोरेशन 30 फीसदी तक बिजली दरें बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिससे सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ेगा। ये निजीकरण की ओर पहला कदम है। आगे चलकर यह मनमानी और भी तेज़ हो जाएगी।”
शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन की बैलेंस शीट में गड़बड़ी की जा रही है। उन्होंने कहा, “यह सब एक सुनियोजित साजिश लगती है, जिसके ज़रिए घाटा दिखाकर कॉरपोरेट घरानों को सौंपने की तैयारी की जा रही है।”
प्रदर्शनकारियों ने पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल को उनके पद से हटाने की मांग भी की। उनका कहना था कि वर्तमान नेतृत्व बिजली कर्मचारियों और उपभोक्ताओं दोनों के हितों के खिलाफ काम कर रहा है। प्रदर्शन के मद्देनज़र मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए शक्तिभवन का मुख्य गेट बंद कर दिया, लेकिन कर्मचारी सड़क पर ही डटे रहे और शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखते रहे।
बिजली कर्मचारियों का यह आंदोलन आने वाले समय में और तेज हो सकता है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज़ किया गया, तो प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा।

Author: Shivam Verma
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