Lucknow News: राजधानी लखनऊ में अवैध निर्माणों के खिलाफ लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने बड़ी कार्रवाई शुरू की है। एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार की पहल पर पिछले छह महीनों से चल रहे ड्रोन सर्वे ने शहर में फैले अवैध निर्माणों और प्लॉटिंग की हकीकत उजागर कर दी है। सर्वे के दौरान 3,232 अवैध निर्माणों की पहचान की गई है, जिनमें से 470 निर्माण ध्वस्त, जबकि 830 को सील किया गया है।
ड्रोन सर्वे से खुली इंजीनियरों की मिलीभगत की परतें
एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार के अनुसार, ड्रोन सर्वे का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि कई मामलों में एलडीए के इंजीनियरों द्वारा जानबूझकर अवैध निर्माण छिपाने की शिकायतें सामने आई थीं। सर्वे एलडीए के अंतर्गत आने वाले 352 गांवों में कराया जा रहा है, जिनमें से 181 गांवों का सर्वे पूरा हो चुका है, जबकि बाकी इलाकों में काम जारी है।
सर्वे में अवैध प्लॉटिंग से बसाई जा रही कॉलोनियां, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और बहुमंजिला इमारतें सामने आई हैं। ड्रोन सर्वे के बाद प्रत्येक क्षेत्र के जिम्मेदार इंजीनियर से रिपोर्ट मांगी जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने निर्माण छिपाने की कोशिश की या नहीं।
कानूनी प्रक्रिया के तहत सीलिंग और ध्वस्तीकरण
एलडीए की ओर से बताया गया कि जिन निर्माणों को अवैध पाया गया है, उनके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया पूरी कर सीलिंग और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जा रही है।
नई भवन निर्माण उपविधि में यह प्रावधान किया गया है कि कुछ मामलों में सीमित दायरे तक अवैध निर्माणों को वैध (Regularize) कराया जा सकता है। इसके लिए निर्माण कराने वाले को शमन मानचित्र (Compounding Map) पास कराना और निर्धारित शुल्क जमा करना आवश्यक है।
जो लोग यह प्रक्रिया पूरी नहीं करते, उनके निर्माणों को गिराया जा रहा है। एलडीए की इस नीति के लागू होने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने अपने शमन मानचित्र पास कराए हैं।
शमन मानचित्रों से 42 करोड़ की आमदनी
इस वित्तीय वर्ष में अब तक शमन मानचित्रों से 42 करोड़ रुपये शुल्क के रूप में जमा हो चुके हैं। एलडीए ने मार्च 2025 तक 300 करोड़ रुपये शुल्क वसूलने का लक्ष्य रखा है।
उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने बताया कि नई नीति के अनुसार आवासीय जमीन पर सीमित दायरे में ही व्यावसायिक निर्माण की अनुमति है। पूरी जमीन को कमर्शियल उपयोग में लाना अनुमन्य नहीं है।
आवासीय इलाकों में व्यावसायिक निर्माण की शिकायतें
एलडीए को कई इलाकों से आवासीय भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण की शिकायतें मिली हैं। इनमें अलीगंज सेक्टर के, आई, जे, संगम चौराहा, केंद्रीय भवन, चंद्रलोक कॉलोनी और मंदिर मार्ग (महानगर) जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इन स्थानों पर व्यावसायिक उपयोग के लिए निर्माण कराने के मामलों की जांच की जा रही है और जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तैयारी है।
ड्रोन सर्वे के जरिये लखनऊ में पहली बार एलडीए ने जमीनी स्तर पर पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है। इससे न केवल अवैध निर्माणों का वास्तविक डेटा सामने आया है बल्कि इंजीनियरों की जिम्मेदारी भी तय हो रही है। एलडीए का कहना है कि यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी ताकि राजधानी में बिना अनुमति निर्माणों पर रोक लगाई जा सके।

Author: Shivam Verma
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