Meerut News: देश के कई राज्यों में सनसनी फैला देने वाले किडनी रैकेट का खुलासा जब हुआ, तब एक नाम हर किसी की जुबान पर था – डॉक्टर डेथ, असली नाम देवेंद्र शर्मा। हत्या, लूट, अपहरण और अवैध किडनी ट्रांसप्लांट जैसे अपराधों की लंबी फेहरिस्त वाले इस व्यक्ति की कहानी किसी थ्रिलर से कम नहीं है।
200 लोगों से लिया एडवांस, 125 किडनी कर चुका था ट्रांसप्लांट
देवेंद्र शर्मा और उसके गिरोह ने करीब 200 लोगों से किडनी ट्रांसप्लांट कराने के नाम पर एडवांस पैसे वसूले थे। पुलिस के मुताबिक, वह अब तक 125 लोगों की किडनियां अवैध रूप से निकाल चुका था और कई राज्यों में फैले किडनी रैकेट से उसके मजबूत संबंध थे।
बेरोजगारी से शुरू हुआ अपराध का सफर
देवेंद्र का शुरुआती जीवन आम लोगों जैसा ही था। उसने पटना से बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की पढ़ाई की और अलीगढ़ जिले के छर्रा कस्बे में एक क्लीनिक खोला। क्लीनिक ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन 1994 में गैस एजेंसी की डीलरशिप के लिए किए गए आवेदन में उसे ठगी का शिकार होना पड़ा। किसी ने उसे डीलरशिप दिलाने के नाम पर 11 लाख रुपये हड़प लिए। यही घटना उसके अपराध के रास्ते पर बढ़ने का कारण बनी।
फर्जी गैस एजेंसियों से हत्या और लूट तक का सफर
ठगी का शिकार होने के बाद देवेंद्र ने अपराध की दुनिया में कदम रखा। अलीगढ़ और अमरोहा में फर्जी गैस एजेंसियां खोलकर सिलेंडरों से भरे ट्रकों को लूटने लगा। पुलिस ने उसे इस मामले में पकड़ा भी, लेकिन जमानत पर छूटने के बाद उसने अपराध की और गहराइयों में उतरना शुरू कर दिया।
जेल से छूटते ही वह किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले गिरोह से जुड़ गया। इस गिरोह की कार्यप्रणाली खौफनाक थी – किराये पर टैक्सी बुलाते, फिर ड्राइवर की हत्या कर उसकी किडनी निकाल लेते और शव को नहर में फेंक देते। कई मामलों में शव कासगंज के हजारा नहर में पाए गए। पुलिस जांच में यह बात सामने आ चुकी है।
देवेंद्र केवल किडनी ट्रांसप्लांट ही नहीं, बल्कि चोरी के वाहनों के रैकेट में भी सक्रिय था। लूटे गए ट्रकों और टैक्सियों को मेरठ के कुख्यात सोतीगंज क्षेत्र में बेच देता, जहां वाहनों को पुर्जों में तोड़कर अलग-अलग बाजारों में खपाया जाता था।
थानों की फेहरिस्त और लंबा आपराधिक रिकॉर्ड
देवेंद्र के खिलाफ 1994 में पहला मामला थाना बरला में दर्ज हुआ, और इसके बाद एक के बाद एक गंभीर अपराध उसके नाम दर्ज होते चले गए।
- 1996: मथुरा में हत्या
- 2001: पलवल (हरियाणा) में अपहरण
- 2002: बदरपुर, फरीदाबाद, हिंडोन (राजस्थान) में अपहरण व हत्या
- 2003: पलवल में दो हत्याएं
- 2004: होडल और अतरौली में हत्या
- 2014: फर्जीवाड़ा और रंगदारी के मामले
- 2020: पैरोल पर आकर फरार होना
इसकी पूरी अपराध कथा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान तक फैली हुई है।
किडनी ट्रांसप्लांट का नेटवर्क और मोटी कमाई
देवेंद्र शर्मा का गिरोह एक किडनी ट्रांसप्लांट के बदले 5 से 7 लाख रुपये वसूलता था। साल 2004 में मुरादाबाद पुलिस कप्तान प्रेमप्रकाश ने इस गिरोह का पर्दाफाश किया। इस दौरान गिरोह के अन्य सदस्य जैसे डॉ. अमित नेपाल भाग गए थे, जिन्हें बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
इस किडनी रैकेट का बड़ा खुलासा 2004 में हुआ, जब जांच में सामने आया कि गिरोह ने कई राज्यों के जरूरतमंद लोगों से ट्रांसप्लांट के नाम पर पैसे ले रखे थे। लेकिन न तो किडनी मिली, न पैसे वापस हुए। उल्टा कई निर्दोष टैक्सी चालकों की जानें चली गईं।

Author: Shivam Verma
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