Meerut News: मेरठ के चर्चित फर्नीचर व्यापारी फजलुर्रहमान को भेजे गए दो स्पीड पोस्ट खतों ने इलाके में सनसनी फैला दी। इन पत्रों में व्यापारी से सीधे 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी गई थी, साथ ही धमकी दी गई थी कि अगर पुलिस को जानकारी दी तो उसकी जान ले ली जाएगी। मगर इस बार अपराधी की योजना ज्यादा दिन तक नहीं टिक सकी। मेरठ पुलिस ने महज़ 24 घंटे में इस मामले का पर्दाफाश कर दिया।
‘स्पीड पोस्ट’ से दी गई मौत की धमकी
मामला 22 मई का है जब इन्द्रा चौक स्थित ‘बाबा फर्नीचर’ के मालिक फजलुर्रहमान को स्पीड पोस्ट के ज़रिए दो पत्र प्राप्त हुए। इन पत्रों में साफ लिखा था – “50 लाख दो वरना सीने में गोली मार दी जाएगी।” खत की भाषा और लहजे से अंदाजा लगाया जा सकता था कि लिखने वाला आम इंसान नहीं, बल्कि अपराध की दुनिया में अनुभव रखने वाला कोई शातिर दिमाग था।
घटना की गंभीरता को देखते हुए फजलुर्रहमान ने तुरंत कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भी तेजी से कार्रवाई शुरू करते हुए FIR दर्ज की और मामले की जांच में जुट गई।
मुखबिर की मदद से चढ़ा पुलिस के हत्थे
जांच के दौरान पुलिस को एक अहम सुराग मिला। मुखबिर से प्राप्त जानकारी और इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने के बाद पुलिस भूमिया का पुल क्षेत्र के एक 55 वर्षीय संदिग्ध तक पहुंची। यह इलाका थाना लिसाड़ी गेट के अंतर्गत आता है।
पुलिस टीम ने घेराबंदी कर आरोपी को खत्ता रोड से गिरफ्तार किया। पकड़े गए व्यक्ति की पहचान नसीर अहमद के रूप में हुई, जो कब्रिस्तान के पास ही रहता है।
आरोपी की पहचान
- नाम: नसीर अहमद
- उम्र: लगभग 55 वर्ष
- पिता का नाम: स्व. हाजी अब्दुल अहमद अब्बार
- पता: कब्रिस्तान के बराबर, भूमिया का पुल, थाना लिसाड़ी गेट, मेरठ
पूछताछ में नसीर अहमद ने रंगदारी की साजिश कबूल की और बताया कि वह व्यापारी से मोटी रकम वसूलना चाहता था। खत भेजने और योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उसने ‘स्पीड पोस्ट’ का सहारा लिया ताकि किसी को उस पर शक न हो।
24 घंटो में गुत्थी सुलझाने वाली पुलिस टीम
इस पूरे मामले को सुलझाने में कोतवाली पुलिस की टीम ने त्वरित और सुनियोजित कार्रवाई की। टीम में शामिल थे:
- थानाध्यक्ष: श्री योगेन्द्र कुमार
- उपनिरीक्षक: धर्मेन्द्र सिंह, सतेन्द्र कुमार, यूटी ओमशाहीराम तिवारी, यूटी चेतन बाबू
- हेड कांस्टेबल: मुकेश कुमार
इन सभी अधिकारियों ने दिन-रात एक कर इस मामले को 24 घंटे के भीतर सुलझाकर यह साबित किया कि अपराध कितना भी सुनियोजित क्यों न हो, पुलिस की सख्त निगरानी से नहीं बच सकता।

Author: Shivam Verma
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