Sultanpur News: डीएम आवास के समीप स्थित बहुमूल्य कलाभवन और उससे जुड़ी संपत्तियों को लेकर सिविल जज-प्रवर खंड की अदालत ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। न्यायाधीश शुभम वर्मा की अदालत ने आदेश दिया है कि मुकदमा लंबित रहने तक विवादित भूमि और संपत्तियों पर किसी भी प्रकार का अंतरण, किरायेदारी या निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। इस फैसले से शाही परिवार और संबंधित पक्षकारों के लिए मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
वादी पक्ष का दावा: पूर्वजों की संपत्ति पर अवैध कब्जे का आरोप
वादी श्रीमती नूपुर राजवर्धन और अन्य ने दावा किया है कि उनके पूर्वज राय साहब राम सरन प्रसाद ने 1932 में ईस्ट इंडिया रेलवे कंपनी से यह संपत्ति नीलामी में खरीदी थी। वादी पक्ष के अनुसार, उनके पूर्वजों ने विपक्षी महेंद्र प्रताप शाही के पारिवारिक सदस्यों को केवल किरायेदारी के लिए यह संपत्ति दी थी।
वादी पक्ष का कहना है कि 2021 में विधिक नोटिस देकर उन्होंने इस किरायेदारी को समाप्त कर दिया था, लेकिन विपक्षियों ने गलत तरीके से संपत्ति के दस्तावेजों में फर्जी एंट्री करवाकर स्वामित्व का दावा कर लिया। इसके अलावा, वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि विपक्षी पक्ष ने नियमों का उल्लंघन कर नक्शा पास करवाने की कोशिश की, जिसकी सुनवाई वर्तमान में डीएम न्यायालय में लंबित है।
विपक्षी पक्ष का प्रतिवाद: स्वामित्व का दावा और याचिका खारिज करने की मांग
मुकदमे में विपक्षी पक्ष श्रीमती शीला शाही और अन्य ने अदालत में आपत्ति जताते हुए संपत्ति को अपना बताया और वादी पक्ष की याचिका को खारिज करने की मांग की।
कोर्ट का निर्णय: किसी भी तरह के बदलाव पर रोक
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश शुभम वर्मा ने साक्ष्यों के आधार पर यह फैसला सुनाया कि जब तक मुकदमा लंबित है, तब तक विवादित संपत्ति पर किसी भी प्रकार का स्वामित्व हस्तांतरण, निर्माण कार्य या किरायेदारी संबंधित कोई भी नया दस्तावेज तैयार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने मामले में वाद बिंदु तय करने के लिए 1 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है।

Author: Shivam Verma
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