Varaansi News : वाराणसी का आसमान शनिवार देर शाम उस वक्त शोक में डूब गया, जब बारामूला (कश्मीर) में तैनात मेजर रौनक सिंह का पार्थिव शरीर लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा। एयरपोर्ट पर मौजूद सेना के अधिकारियों और जवानों ने उन्हें गॉड ऑफ ऑनर देकर अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की।पार्थिव शरीर जैसे ही विमान से बाहर लाया गया, वातावरण गमगीन हो उठा। परिजन, रिश्तेदार और सेना के अधिकारी उपस्थित रहे। चारों ओर सिर्फ एक ही भावना थी – गर्व और शोक।
अचानक बिगड़ी तबीयत, श्रीनगर में हुआ निधन
मूल रूप से प्रतापगढ़ निवासी और वाराणसी के चांदपुर इंडस्ट्रियल एरिया में परिवार संग रह रहे मेजर रौनक सिंह (34) की ड्यूटी कश्मीर के बारामूला सेक्टर में थी। 12 सितंबर को ड्यूटी पर लौटने के कुछ दिनों बाद ही उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्हें इलाज के लिए श्रीनगर स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन वहां उपचार के दौरान निधन हो गया।
सेना में 2014 से सेवा, हाल ही में प्रमोशन मिला था
मेजर रौनक सिंह ने वर्ष 2014 में देहरादून स्थित सेना कमान केंद्र से कैप्टन पद पर सेना में भर्ती ली थी। कुछ महीने पहले ही उनका प्रमोशन मेजर के पद पर हुआ था।
परिजनों के अनुसार, उनकी शादी पिछले वर्ष 23 जून 2023 को डॉ. अर्चिता सिंह से हुई थी।
वे कुछ ही दिन पहले 6 सितंबर को घर आए थे और 12 सितंबर को ड्यूटी पर लौटे थे।
चांदपुर स्थित आवास पर पहुंचा पार्थिव शरीर, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ा जनसैलाब
शनिवार रात करीब 7:45 बजे विशेष वायुसेना विमान से उनका पार्थिव शरीर वाराणसी एयरपोर्ट पर पहुंचा, और वहां से 8:25 बजे उनके चांदपुर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित आवास ले जाया गया।
जहां पहले से ही उनके बचपन के दोस्त, पड़ोसी, रिश्तेदार और स्थानीय नागरिक अंतिम दर्शन के लिए एकत्र थे।
मां रेनू सिंह, पिता शशि सिंह, पत्नी डॉ. अर्चिता, छोटे भाई शिवम सिंह और पूरे परिवार की आंखें नम थीं।
सेना ने दी सलामी, मणिकर्णिका घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
रविवार सुबह सेना के ब्रिगेडियर, कमांडिंग ऑफिसर और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में मेजर रौनक सिंह का अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया गया।
सेना के जवानों ने शस्त्र झुका कर अंतिम विदाई दी।
अंतिम यात्रा में लोगों ने “भारत माता की जय” और “वीर सपूत अमर रहें” के नारों से माहौल गूंजा दिया।
एक परिवार का बेटा, पूरे देश का सपूत
मेजर रौनक सिंह भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका बलिदान हमेशा याद किया जाएगा।
देश के लिए दिया गया उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
शत-शत नमन रौनक सिंह
“जो देश के लिए मरते हैं, वो कभी मरते नहीं – वो अमर रहते हैं।”
