Varanasi News: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी में कौस्तुभ जयंती समारोह के अंतर्गत एक भव्य पंचदिवसीय संगीत कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसका समापन समारोह आज पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन की विशेषता यह रही कि इसमें उपशास्त्रीय एवं सुगम संगीत की शैलियों के सौंदर्यात्मक पक्ष को केंद्र में रखते हुए प्रशिक्षण दिया गया।
इस कार्यशाला का आयोजन बीएचयू के संगीत संकाय के गायन विभाग द्वारा किया गया, जिसमें विभाग की संकाय प्रमुख एवं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संगीता पंडित ने मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका निभाई। उन्होंने अपने वर्षों के अनुभव और गुरु पद्मश्री पंडित सुरेन्द्र मोहन मिश्र जी से प्राप्त कई दुर्लभ बंदिशों को प्रशिक्षुओं के साथ साझा किया। प्रशिक्षण की शैली इतनी सहज और सरस रही कि प्रतिभागी इसे पूरी संजीदगी और रुचि से आत्मसात करते नजर आए।
चार दिनों की इस कार्यशाला में कुल 18 रचनाओं का प्रशिक्षण दिया गया, जिनमें गीत, ग़ज़ल, भजन और उपशास्त्रीय रचनाएं प्रमुख थीं। ये सभी रचनाएं पूरब अंग की शैलियों पर आधारित थीं, जो शास्त्रीय संगीत की एक समृद्ध परंपरा को दर्शाती हैं। कार्यशाला का समय प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से शाम 5 बजे तक निर्धारित था, जिसमें करीब 72 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।
समापन समारोह में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, वाराणसी के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अभिजीत दीक्षित मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसके साथ ही वाद्य विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेश शाह, नृत्य विभागाध्यक्ष डॉ. विधि नागर, आयोजन सचिव डॉ. रामशंकर तथा गायन विभाग के सभी शिक्षकगण सभागार में मौजूद रहे। शिक्षकों में डॉ. शुभंकर डे सहित अन्य सभी संकाय सदस्य सक्रिय रूप से इस आयोजन में सम्मिलित हुए।
समारोह में प्रशिक्षुओं ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया। उनकी प्रस्तुति को स्वयं गुरु डॉ. संगीता पंडित द्वारा सराहा गया। कार्यक्रम में डॉ. इंद्रदेव चौधरी, श्री पंकज राय, श्री विवेक कुंवर, श्री नरेंद्र मिश्रा समेत कई अन्य लोगों का महत्वपूर्ण सहयोग रहा, जिनकी सक्रिय भागीदारी से कार्यशाला का संचालन सुचारु रूप से हुआ।
समापन के अंत में गुरु संगीता पंडित जी ने भी अपने गुरु पद्मश्री पंडित सुरेन्द्र मोहन मिश्र जी की कुछ रचनाओं की प्रस्तुति दी, जिसे सभागार में उपस्थित सभी श्रोताओं ने बड़े ध्यान और भावुकता के साथ सुना और सराहना की।
Author: Shivam Verma
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