Ramcharitmanas Prashnavali: गोस्वामी तुलसीदासकृत श्री रामचरितमानस में भगवान श्री रामचन्द्र जी के जीवन चरित का वर्णन अवधी भाषा में किया गया है। माना जाता है, कि यह महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित मूल संस्कृत भाषा में लिखित रामायण का अवधी भाषा में अनुवाद है। लेकिन गोस्वामी जी की इस रचना में रामायण से कुछ भिन्न प्रसंग और तथ्य हैं। इसी क्रम में श्री रामचरितमानस में प्रश्नवाली के रूप में राम शलाका दी हुई है। जिससे मानस प्रेमी समय समय पर अपनी समस्याओं का हल पाने के लिए प्रयोग करते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली (Ram Shalaka Prashnavali)
राम शलाका प्रश्नवाली का उपयोग कैसे करें?
रामचरितमानस प्रश्नावली का प्रयोग करने के लिए बताए गए निम्न चरणों को फॉलो करें।
प्रथम चरण– सबसे पहले मन में भगवान श्रीरामचन्द्र का ध्यान करें। इसके बाद अपनी आँखें मूंदकर अपने प्रश्न को मन में पूछते हुये ऊपर दिये गए प्रश्नावली में शलाका या उंगली रखें।
द्वितीय चरण– अब जहां पर आपने उंगली या शलाका रखी है, उस कोष्ठक के अक्षर या शब्दांश को अलग लिख लें, इस कोष्ठक के बाद नवें कोष्ठक के शब्दांश को आगे लिख लें। इसी प्रकार क्रमशः नवें कोष्ठक के शब्दांश लिखते जाएँ, जब तक आप पुनः उसी कोष्ठक तक ना पहुँच जाये जो सबसे पहले आपने चुना था (जिस कोष्ठक पर आपकी शलाका या उंगली रखी थी)
तृतीय चरण– अब आपके उन शब्दांश और अक्षरों को जोड़कर नीचे दी गयी चौपाइयों में से कोई एक बन जाती है। अब जो चौपाई बन रही है उसके हिसाब से आपको फलादेश देखना है।
Ram Shalaka Prashnavali with Answers in Hindi
रामचरितमानस की इस श्रीराम शलाका में कुल 9 चौपाई है। जिसके आधार पर हमें उनसे अपने प्रश्न व समस्याओं का फलादेश (उत्तर) प्राप्त होता है।
सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी।
यह चौपाई बालकाण्ड में श्रीसीताजी के गौरीपूजन के प्रसंग में है। गौरीजी ने श्रीसीताजी को आशीर्वाद दिया है।
फलः– प्रश्नकर्त्ता का प्रश्न उत्तम है, कार्य सिद्ध होगा।
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
हृदय राखि कोसलपुर राजा॥
यह चौपाई सुन्दरकाण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।
फलः-भगवान् का स्मरण करके कार्यारम्भ करो, सफलता मिलेगी।
उघरें अंत न होइ निबाहू।
कालनेमि जिमि रावन राहू॥
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फलः-इस कार्य में भलाई नहीं है। कार्य की सफलता में सन्देह है।
बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं।
फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥
यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग-वर्णन के प्रसंग में है।
फलः-खोटे मनुष्यों का संग छोड़ दो। कार्य की सफलता में सन्देह है।
होइ है सोई जो राम रचि राखा।
को करि तरक बढ़ावहिं साषा॥
यह चौपाई बालकाण्डान्तर्गत शिव और पार्वती के संवाद में है।
फलः-कार्य होने में सन्देह है, अतः उसे भगवान् पर छोड़ देना श्रेयष्कर है।
मुद मंगलमय संत समाजू।
जिमि जग जंगम तीरथ राजू॥
यह चौपाई बालकाण्ड में संत-समाजरुपी तीर्थ के वर्णन में है।
फलः-प्रश्न उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
गरल सुधा रिपु करय मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
यह चौपाई श्रीहनुमान् जी के लंका प्रवेश करने के समय की है।
फलः-प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।
बरुन कुबेर सुरेस समीरा।
रन सनमुख धरि काह न धीरा॥
यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावन की मृत्यु के पश्चात् मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है।
फलः-कार्य पूर्ण होने में सन्देह है।
सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे।
राम लखनु सुनि भए सुखारे॥
यह चौपाई बालकाण्ड पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्रजी का आशीर्वाद है।
फलः-प्रश्न बहुत उत्तम है। कार्य सिद्ध होगा।
इस प्रकार रामचरितमानस में वर्णित Ram Shalaka Prashnavali से मानस प्रेमी अपनी समस्याओं, कष्टों और प्रश्नों का सवाल, समाधान और फलादेश प्राप्त करते हैं।