Lucknow News: लखनऊ के गोमतीनगर स्थित कठौता झील का जलस्तर लगातार घटने से पेयजल संकट गहराता जा रहा है। झील में पानी की आपूर्ति करने वाली शारदा सहायक नहर की सफाई और मरम्मत के कारण पानी की आपूर्ति बंद है। इसके चलते इंदिरानगर, गोमतीनगर, चिनहट समेत जोन-4 के लगभग 10 लाख लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ रहा है।
वर्तमान में झील का जलस्तर 20 फीट की क्षमता के मुकाबले घटकर मात्र 8 फीट रह गया है। इस कमी के कारण जलकल विभाग को जलापूर्ति के समय में कटौती करनी पड़ रही है। अब पानी की सप्लाई केवल सुबह 6 से 10 बजे और शाम 6 से रात 9 बजे तक ही दी जा रही है, जबकि पहले यह आपूर्ति दोपहर 1 बजे तक होती थी।
8 नवंबर तक बंद रहेगी शारदा नहर
सिंचाई विभाग ने जानकारी दी है कि 12 अक्टूबर से 8 नवंबर तक शारदा सहायक नहर को सफाई और मरम्मत कार्य के लिए बंद किया गया है। कठौता झील को यही नहर पानी उपलब्ध कराती है, जिससे जल भंडारण क्षमता पर सीधा असर पड़ा है।
आम दिनों में झील में 80 MLD (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी स्टोर करने की क्षमता रहती है, लेकिन नहर बंद होने और जलस्तर घटने के कारण जलकल विभाग को आपूर्ति कम करनी पड़ रही है। इससे हजारों घरों में पानी की कमी का संकट गहराता जा रहा है।
टेंडर विवाद में फंसी झील की सफाई
जल संकट के बीच झील की सफाई का काम टेंडर विवाद में उलझ गया है। करीब 1200 मीटर लंबी और 600 मीटर चौड़ी इस झील के इनलेट पॉन्ड में लगभग 1.75 लाख टन सिल्ट (कीचड़) 6 फीट तक जमा हो चुकी है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह सिल्ट हटा दी जाए तो झील की जल भंडारण क्षमता कई गुना बढ़ सकती है।
अप्रैल महीने में 10.12 करोड़ रुपये के टेंडर पर सफाई कार्य शुरू हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने राशि बढ़ाने की मांग करते हुए काम रोक दिया। इस पर जलकल जीएम कुलदीप सिंह ने 15 करोड़ रुपये का नया प्रस्ताव नगर आयुक्त गौरव कुमार को भेजा था, परंतु बजट अधिक होने और अन्य आपत्तियों के कारण यह फाइल वापस लौटा दी गई।
ऑडिट के लिए गठित हुई कमेटी
मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर आयुक्त गौरव कुमार ने अपर नगर आयुक्त ललित कुमार की अध्यक्षता में एक ऑडिट कमेटी गठित की है। यह कमेटी टेंडर प्रस्तावों की जांच कर वित्तीय आवंटन से जुड़ी कार्रवाई करेगी।
नगर आयुक्त ने जलकल विभाग को निर्देश दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर आपत्तियों का जवाब देकर फाइल दोबारा भेजें। वहीं, स्थानीय पार्षद शैलेंद्र वर्मा ने टेंडर की रकम बढ़ाने के प्रयास पर वित्तीय गड़बड़ी की आशंका जताई है।
Author: Shivam Verma
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