SItapur News: सीतापुर के पावन नैमिषारण्य धाम में ऐतिहासिक 84 कोसी परिक्रमा का आज शुभारंभ हो गया है। हजारों श्रद्धालु, संत, महामंडलेश्वर और भक्तगण भक्ति भाव से ओतप्रोत होकर इस पवित्र यात्रा में शामिल हो रहे हैं। मध्य रात्रि से श्रद्धालु अपने प्रथम पड़ाव, द्वारकाधीश मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं।
परिक्रमा का शुभारंभ
इस धार्मिक यात्रा की शुरुआत सर्वप्रथम श्रद्धालुओं ने चक्र तीर्थ में स्नान करके की। इसके बाद शक्तिपीठ माँ ललिता देवी मंदिर में माथा टेककर भक्तगण अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। परिक्रमा मार्ग के प्रवेश द्वारों पर साधु-संतों का विधिवत पूजन किया गया और नगर पालिका द्वारा पुष्प वर्षा कर उनका भव्य स्वागत किया गया। प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं के लिए समुचित व्यवस्थाएं की हैं, जिससे उनकी यात्रा निर्विघ्न पूर्ण हो सके।
परिक्रमा में व्यास पीठ के पीठाधीश्वर अनिल कुमार शास्त्री अपने तीन दिव्य रथों के साथ शामिल हैं। इन रथों में भगवान वेदव्यास, भगवान राम दरबार और महर्षि दधीचि की प्रतिमाएं विराजमान हैं, जो इस यात्रा का प्रमुख आकर्षण बनी हुई हैं। भक्तगण पैदल, रथों और अपने वाहनों से इस पुण्य यात्रा में शामिल होकर धर्म ध्वजा को ऊँचा कर रहे हैं।
नैमिषारण्य की 84 कोसी परिक्रमा
यह परिक्रमा सतयुग से चली आ रही है और फाल्गुन मास की प्रतिपदा को आयोजित की जाती है। कहा जाता है कि सर्वप्रथम महर्षि दधीचि ने इंद्र को अपनी अस्थियां दान करने से पूर्व इस परिक्रमा को पूरा किया था। त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने भी अपने परिवार संग नैमिषारण्य की परिक्रमा की थी, जिसके कारण इसे ‘रामा दल’ भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त श्रद्धा से इस परिक्रमा को संपन्न करता है, उसे 84 लाख योनियों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा
इस भव्य आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने पुलिस बल की भारी तैनाती की है। संपूर्ण यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
इस परिक्रमा में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल भी देखने को मिली। स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा कर और फल भेंट कर उनका स्वागत किया। यह दृश्य भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का एक जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
84 कोसी परिक्रमा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना का एक विशेष माध्यम है। इस पावन यात्रा में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। पूरा वातावरण भजन-कीर्तन, मंत्रोच्चारण और जयघोषों से गुंजायमान रहता है। इस पवित्र परिक्रमा में श्रद्धालु अपने धार्मिक आस्था को मजबूती देते हुए पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।

Author: Shivam Verma
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