Lucknow News: एक लंबे समय से कानून की आंखों में धूल झोंककर फरार चल रहा ठग गिरोह का सरगना जितेंद्र तिवारी आखिरकार लखनऊ पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। बेरोजगारी का दर्द झेल रहे युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी करने वाला यह मास्टरमाइंड अब जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुका है।
जितेंद्र तिवारी, जो प्रतापगढ़ जिले के अंतू थाना क्षेत्र के दादूपुर-अहिबरन राजा का पुरवा गांव का रहने वाला है, अपने गिरोह के साथ मिलकर यूपी के कई जिलों – लखनऊ, अमेठी, प्रतापगढ़, प्रयागराज और बस्ती – में सक्रिय था। इस गिरोह ने बेरोजगार युवाओं को फर्जी नियुक्ति पत्र, नकली कंपनियों और जाली कागजों के जरिए ठगना शुरू किया था। जब पीड़ित अपने पैसे वापस मांगते थे, तो गिरोह उल्टे उन्हीं पर दबाव बनाता था, झूठे मुकदमे दर्ज करवाता था और विवाद खड़ा कर देता था ताकि पुलिस और कोर्ट में कार्रवाई से बचा जा सके।
पहचान बदल-बदल कर बचता रहा मास्टरमाइंड
जितेंद्र तिवारी के खिलाफ चार साल पहले लखनऊ के अलीगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन वह बार-बार अपनी पहचान और ठिकाने बदलता रहा। प्रभावशाली लोगों से मिलीभगत और पैरवी के बल पर वह लगातार पुलिस को चकमा देता रहा। इस दौरान उसने कोर्ट से अग्रिम जमानत और गिरफ्तारी से राहत पाने की भी कोशिशें कीं, लेकिन अब किस्मत ने उसका साथ छोड़ दिया।
गिरफ्तारी से टूटी गैंग की कमर
लखनऊ जेल भेजे जाने के बाद अब अन्य जिलों की पुलिस भी हरकत में आ गई है। अमेठी समेत कई जिलों में जितेंद्र और उसके साथियों पर गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी हो रही है। साथ ही, बेनामी और अवैध तरीकों से जुटाई गई अरबों की संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है।
अब तक गिरोह के कई सदस्य, जैसे कि संतोष पांडेय और विकास तिवारी, पहले ही जेल जा चुके हैं, जबकि वरुण मिश्र, निशा मिश्रा, बब्बन तिवारी, पंकज तिवारी, रोहित यादव, मोहित पाल जैसे आरोपी अभी भी फरार हैं। पुलिस इनकी तलाश में दबिश दे रही है।
अमेठी में भी खुला था मामला
रामगंज थाना, अमेठी में करीब 10 महीने पहले इस गैंग के खिलाफ मुकदमा कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ था। मगर उस वक्त के थाना प्रभारी अजयेंद्र कुमार पटेल पर आरोप लगे कि उन्होंने आरोपियों से सांठगांठ कर उन्हें बचाने का प्रयास किया। एफआईआर दर्ज करने में भी 34 दिन की देरी की गई, जिससे कई सबूतों को मिटाने का मौका मिल गया। अब इस पूरे मामले की मॉनिटरिंग मजिस्ट्रेट कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक हो रही है।
अब जब गिरोह का सरगना जेल में है और कार्रवाई तेज हो चुकी है, तो ठगे गए सैकड़ों पीड़ितों को भी उम्मीद बंधी है कि शायद अब उन्हें उनका हक और मेहनत की कमाई वापस मिल सके। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जितेंद्र तिवारी और उसके गैंग की क्रिमिनल हिस्ट्री लंबी है, और जल्द ही इनके अन्य जुर्मों का भी खुलासा हो सकता है।
पुलिस की बढ़ती सक्रियता और मास्टरमाइंड के जेल जाने के बाद अब फरार आरोपी भी कोर्ट या पुलिस के सामने सरेंडर कर सकते हैं। गिरफ्तारी से बचने के उनके कई प्रयास अब नाकाम हो चुके हैं।

Author: Shivam Verma
Description