Gorakhpur News: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) में चल रही एलएलबी की परीक्षाओं के दौरान एक सवाल ने खासा ध्यान खींचा है। विधि विभाग द्वारा ‘क्रिमिनोलॉजी’ विषय के तहत पूछे गए इस सवाल ने छात्रों के बीच हलचल मचा दी है और अब यह प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
यह सवाल मेरठ में घटित एक सनसनीखेज आपराधिक मामले, जिसे आम बोलचाल में ‘मुस्कान कांड’ कहा जा रहा है, से प्रेरित प्रतीत हो रहा है। इसमें प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर शव को नीले रंग के ड्रम में छुपाने की घटना सामने आई थी। इस केस की भयावहता और विस्तार से मीडिया में चर्चा होने के चलते यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया था।
परीक्षा में क्या पूछा गया?
डीडीयू में 24 मई को एलएलबी छठवें सेमेस्टर के अंतर्गत ‘क्रिमिनोलॉजी’ (LLB-312) विषय की परीक्षा आयोजित की गई थी। प्रश्न पत्र में ‘खंड ब’ के अंतर्गत दो वैकल्पिक प्रश्न दिए गए थे, जिनमें से छात्रों को किसी एक का उत्तर लिखना था। इन्हीं में से एक प्रश्न में हत्या की एक काल्पनिक—but अत्यंत मिलती-जुलती—घटना का जिक्र किया गया:
प्रश्न: ‘ए’ की पत्नी ‘बी’, ‘सी’ से प्रेम करती थी। ‘बी’ और ‘सी’ ने मिलकर योजना बनाई कि अगर हम ‘ए’ की हत्या कर दें तो हमारे रास्ते का कांटा हट जाएगा और हम एक-दूसरे के हो जाएंगे। दोनों ने मिलकर ‘ए’ की चाकू से हत्या कर दी और शव को टुकड़ों में काटकर नीले रंग के ड्रम में भर दिया तथा उसे घर में छुपाकर, किसी अन्य शहर घूमने चले गए। इस घटना में क्या ‘बी’ और ‘सी’ को मृत्युदंड दिया जा सकता है? अपने उत्तर में न्यायिक निर्णयों का उल्लेख करें।
हालांकि प्रश्न में सीधे तौर पर ‘मुस्कान कांड’ का नाम नहीं लिखा गया था, लेकिन नीले ड्रम और हत्याकांड की पृष्ठभूमि स्पष्ट रूप से उसी घटना की ओर संकेत करती है।
छात्रों में चर्चा का विषय
परीक्षा के बाद छात्रों के बीच इस सवाल को लेकर काफी चर्चा शुरू हो गई। कई छात्रों ने इसे हल किया और बाहर निकलते ही एक-दूसरे से इस बारे में बात करने लगे। जल्द ही यह प्रश्न पत्र विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकलकर सोशल मीडिया तक पहुंच गया और वायरल हो गया।
छात्रों का कहना है कि सवाल कानूनी दृष्टिकोण से काफी पेचीदा और विश्लेषणात्मक था। कुछ छात्रों को इस सवाल को पढ़ते ही मेरठ की चर्चित घटना याद आ गई। इसके बाद कई लोगों ने सवाल की फोटो खींचकर व्हाट्सएप, फेसबुक और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म पर साझा करना शुरू कर दिया।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस सवाल को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विधि विशेषज्ञों का कहना है कि यह सवाल भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों और पूर्व न्यायिक निर्णयों के अध्ययन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस प्रकार की केस स्टडी आधारित प्रश्न विधि छात्रों को वास्तविक मामलों के प्रति संवेदनशीलता और कानूनी दृष्टिकोण से विश्लेषण की क्षमता विकसित करने में सहायक होते हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर कई लोग जहां इसे छात्रों की व्यावहारिक समझ को परखने का अच्छा तरीका मान रहे हैं, वहीं कुछ यूजर्स इस पर सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या इस प्रकार की जीवंत घटनाओं को प्रश्न पत्र में शामिल करना नैतिक रूप से उचित है।
हालांकि यह मामला अभी केवल एक प्रश्न पत्र तक सीमित है, लेकिन इसकी पृष्ठभूमि और वास्तविक घटना से समानता के कारण इसे लेकर गोरखपुर से लेकर मेरठ तक चर्चाएं तेज हो गई हैं।

Author: Shivam Verma
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