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Amethi News: निःशुल्क न्यायिक सेवाएँ, फिर भी पीड़ित दर-दर भटकने को मजबूर

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Amethi/Sultanpur: जन-उपयोगी सेवाओं से जुड़े मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए गठित स्थायी लोक अदालत तथा रेप व एसिड अटैक जैसे अपराधों के पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए गठित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यक्षेत्र एवं इनसे मिलने वाले लाभ से अमेठी व सुलतानपुर जिले के लोग अब भी अनजान हैं।

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जानकारी के अभाव में जिले की जनता और पीड़ित न्याय पाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। स्थायी लोक अदालत और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में अपेक्षित संख्या में वाद दर्ज न होना इस बात को सिद्ध करता है कि जनता तक सही जानकारी नहीं पहुँच पा रही है।

स्थायी लोक अदालत

स्थायी लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य जन-उपयोगी सेवाओं से जुड़े विवादों को त्वरित और निःशुल्क रूप से निपटाना है। इसमें बिजली बिल संबंधी विवाद, कृषक दुर्घटना बीमा, सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना, बीमा कंपनियों से जुड़े दावे, सरकारी अव्यवस्थाओं के कारण हुई क्षति की भरपाई, यातायात सेवाओं से जुड़े विवाद, डाक-तार और टेलीफोन सेवाओं के विवाद, जल और विद्युत आपूर्ति संबंधी मामले, अस्पताल या औषधालय सेवाओं से जुड़े विवाद, शिक्षा संस्थानों से जुड़े विवाद, आवास या भू-संपत्ति विवाद आदि मामलों का समाधान किया जाता है।

स्थायी लोक अदालत की प्रक्रिया पूरी तरह निःशुल्क होती है, और इसमें किसी भी प्रकार की कोर्ट फीस नहीं ली जाती। वाद दायर होने के बाद, विपक्षी की उपस्थिति दर्ज होते ही 60 दिनों के भीतर मामले का निपटारा कर दिया जाता है। एक करोड़ रुपये तक की विवाद राशि वाले मामले इस अदालत के क्षेत्राधिकार में आते हैं। विवाद उत्पन्न होने के तीन वर्षों के भीतर वाद दायर किया जा सकता है, हालांकि उचित कारण होने पर तीन वर्षों से अधिक पुराने मामलों को भी स्वीकार किया जा सकता है।

दायित्वों से अनभिज्ञ जनता

स्थायी लोक अदालत का लाभ लेने के लिए पीड़ित ट्रांसपोर्ट नगर (पयागीपुर) स्थित स्थायी लोक अदालत, सुलतानपुर में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यहाँ पर जज राधेश्याम यादव (द्वितीय) अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं, जबकि मृदुला राय और रमेश चंद्र यादव सदस्य के रूप में तैनात हैं।

हालांकि, मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश लोग इस अदालत की सेवाओं की जानकारी ही नहीं हैं, जिसके कारण वे न्याय के लिए अन्य सरकारी कार्यालयों और उच्च न्यायालयों के चक्कर काटते रहते हैं और मानसिक व आर्थिक परेशानियों का सामना करते हैं।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बलात्कार, एसिड अटैक, आगजनी, शारीरिक क्षति, लैंगिक हमला, गर्भपात, विकलांगता आदि से पीड़ितों को क्षतिपूर्ति दिलाने का कार्य करता है। परंतु, इन सेवाओं की व्यापकता के बावजूद, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में अधिकतर पति-पत्नी विवाद सुलझाने तक ही सीमित देखा गया है। इससे अन्य गंभीर मामलों के पीड़ितों को सही लाभ नहीं मिल पा रहा है।

जागरूकता का अभाव और समाधान की जरूरत

अधिवक्ताओं और बुद्धिजीवियों के माध्यम से धीरे-धीरे लोग इन सेवाओं के प्रति जागरूक हो रहे हैं, लेकिन अभी भी अपेक्षित संख्या में मामले इन अदालतों तक नहीं पहुँच रहे हैं। जिला न्यायालय से इन अदालतों की अधिक दूरी और इनके स्थान व कार्यक्षेत्र की जानकारी का अभाव प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।

सम्बंधित संस्थाओं को इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि अधिक से अधिक लोग इन सेवाओं का लाभ उठाकर शीघ्र और सुलभ न्याय प्राप्त कर सकें।

रिपोर्ट: अंकुश यादव

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

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