Bulandshahr News: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के गुलावठी में एक बड़ा ठगी का मामला सामने आया है, जहां एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी के कर्मचारियों ने 100 से अधिक महिलाओं को आधार कार्ड और पैन कार्ड के जरिये लघु ऋण दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपये ठग लिए। धोखाधड़ी को अंजाम देने के बाद आरोपी रातोंरात अपने दफ्तर को समेटकर फरार हो गए।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
माइक्रो फाइनेंस कंपनियां आमतौर पर आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को छोटे व्यापार के लिए ऋण उपलब्ध कराती हैं। पीड़िताओं का कहना है कि उन्होंने कंपनी के निर्देश पर महिला समूह बनाए, अपने आधार और पैन कार्ड की प्रतियां जमा कीं और फाइल चार्ज के रूप में प्रत्येक महिला से 2,230 रुपये लिए गए। कंपनी के कर्मचारियों ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि 27 मार्च 2025 को उनके खातों में ऋण राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी।
जब तय तिथि पर पैसे खातों में नहीं पहुंचे, तो पीड़ित महिलाएं गुलावठी के विकासपुरी मोहल्ले में स्थित माइक्रो फाइनेंस कंपनी के दफ्तर पहुंचीं। वहां जाकर देखा कि कार्यालय खाली पड़ा था और कंपनी के कर्मचारी फरार हो चुके थे।
नहीं दर्ज हुई FIR
घटना के बाद सैकड़ों महिलाएं एकत्र होकर गुलावठी थाने पहुंचीं और उपनिरीक्षक को लिखित तहरीर देकर मामले की शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने पुलिस से FIR दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और उनके पैसे वापस दिलाने की मांग की।
हालांकि, 24 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस ने कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इस संबंध में जब SHO सुनीता मालिक से सवाल किया गया तो उनकी तरफ से भी कोई साफ जवाब नहीं आया है।
कितने लोग इस ठगी का शिकार बने?
पीड़िताओं के अनुसार, यह ठगी छोटे स्तर पर नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर की गई है, इसमें कई महिलाओं द्वारा बनाए गए समूह भी शामिल हैं। जो कुछ इस प्रकार हैं
- सुमन (पत्नी बिट्टू, भूडिया गांव) – 11 महिलाओं का समूह
- ओमवती (पत्नी नरेंद्र, भूडिया गांव) – 18 महिलाओं का समूह
- आबिद (पुत्र नन्हें, सोहनपुर गांव) – 18 महिलाओं का समूह
- अनु सिरोही (पत्नी अनुज) – 14 महिलाओं का समूह
- गुड्डी (पत्नी मनोज, बीबी नगर) – 9 महिलाओं का समूह
- शोभा (पत्नी अरविंद कुमार, असवार गांव) – 7 महिलाओं का समूह
- बंटी (पत्नी बृजेश, अट्टा गांव) – 8 महिलाओं का समूह
इनके अलावा, दर्जनों अन्य गांवों में भी सैकड़ों समूह बनाए गए, जिनसे ठगों ने करीब 20 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी की है।
पीड़ित महिलाओं की शिकायत के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित महिलाओं का कहना है कि जांच के नाम पर पुलिस केवल टालमटोल कर रही है और अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। तहरीर में तीन कर्मचारियों के नाम और उनके मोबाइल नंबर भी दिए गए थे, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की ठगी संगठित अपराध के दायरे में आती है और इसके दोषियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है। धारा 420 (धोखाधड़ी), धारा 406 (विश्वासघात), और धारा 120B (षड्यंत्र) के तहत आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।

Author: Shivam Verma
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