Chandauli News: नौगढ़ तहसील के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर जब बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) के संभावित निरीक्षण की खबर फैली, तो स्कूलों में खलबली मच गई। व्यवस्थाओं को सुधारने की जल्दबाज़ी में शिक्षकों से लेकर प्रधानों तक सब हरकत में आ गए, लेकिन बीएसए सचिन कुमार और उनकी टीम के अचानक दौरे ने एक ऐसी हकीकत को उजागर कर दिया, जिसे दबाना अब आसान नहीं।
रजिस्टर में दर्ज पर कक्षा नहीं दिखे बच्चे
सूत्रों के मुताबिक नौगढ़ क्षेत्र के कई प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या तो कागजों पर काफी अधिक दर्ज है, मगर जब टीम मौके पर पहुँची, तो अधिकतर कक्षाएं लगभग खाली पाई गईं। कुछ स्कूलों में तो दस फीसदी से भी कम बच्चे उपस्थित थे। वहीं, दो सहायक अध्यापक और सात शिक्षा मित्र अपनी ड्यूटी से नदारद मिले, जो इस बात की तस्दीक करता है कि फर्जीवाड़ा केवल बच्चों की संख्या तक सीमित नहीं है।
मिड-डे मील में भी दिखी गड़बड़ी
निरीक्षण के दौरान छात्रों ने अधिकारियों को बताया कि उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित मेन्यू के मुताबिक भोजन नहीं मिलता। खासकर बुधवार को मिलने वाला दूध और सोमवार को दिया जाने वाला फल अक्सर गायब रहता है। ग्राम प्रधान द्वारा इनकी आपूर्ति नाममात्र की जाती है, जबकि सरकार हर छात्र के लिए इसके लिए पैसा खर्च करती है। बच्चों की यह शिकायत सीधे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है और जिम्मेदारों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है।
दिव्यांग बच्चों के लिए कोई व्यवस्था नहीं
निरीक्षण में यह भी सामने आया कि अधिकांश विद्यालयों में सफाई व्यवस्था बेहद खराब है। दिव्यांग छात्रों के लिए बने शौचालय या तो अस्तित्व में ही नहीं हैं या इतने जर्जर हैं कि उपयोग लायक नहीं। कई स्कूलों में सामान्य शौचालय भी सिर्फ दिखावे भर हैं। “स्वच्छ भारत मिशन” के नियमों का स्कूल ही अनुपालन कर रहे तो अन्य जनता से ही क्या आशा रखी जाये। जबकि शिक्षा को ही सफाई और स्वच्छता के लिए जागरूक करना चाहिए।
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि साहब के दौरे की भनक पहले से न लगी होती, तो अनुपस्थित शिक्षकों और गड़बड़ियों की संख्या और भी अधिक होती।

Author: Shivam Verma
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