Chandauli News: जिले में स्वास्थ्य विभाग के भीतर एक गंभीर प्रशासनिक चूक सामने आई है, जो अब विवाद का कारण बनती जा रही है। डिप्टी सीएमओ डॉ. जयप्रकाश गुप्ता के प्रमोशन को लेकर उठे सवालों ने सीएमओ ऑफिस चन्दौली की कार्यप्रणाली पर उंगलियां उठा दी हैं। वर्ष 2022 में हुए प्रमोशन को अब विभाग के ही कुछ कर्मचारियों द्वारा फर्जी करार दिया जा रहा है, जिससे पूरे मामले में हड़कंप मच गया है।
प्रमोशन पर सवाल, इंक्रीमेंट से खुली परतें
डॉ. जेपी गुप्ता की पहली नियुक्ति 22 अक्टूबर 2009 को हुई थी। इसके बाद उन्होंने सेवा के दौरान लेवल 2 और लेवल 3 के आधार पर डिप्टी सीएमओ का पदभार संभाला। लेकिन हाल ही में जब उनका सालाना वेतनवृद्धि (इंक्रीमेंट) नहीं लगी, तो उन्होंने कारण जानने के लिए विभाग से संपर्क किया। इसी दौरान सामने आया कि उनका प्रमोशन जिन दस्तावेजों के आधार पर हुआ था, उनमें वरिष्ठता सूची में भ्रम की स्थिति है।
जानकारी के अनुसार, डॉ. गुप्ता को 127वें स्थान की वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन दिया गया था, जबकि वह क्रम किसी अन्य अधिकारी का बताया जा रहा है। जब इस संबंध में डॉ. गुप्ता ने जानकारी मांगी तो पता चला कि उनके पिता का नाम गलत रिकॉर्ड हो गया है, और इसी नाम से एक अन्य डॉक्टर ‘जयप्रकाश’ पहले से ही किसी अन्य जिले में कार्यरत हैं। इसी गड़बड़ी के कारण अब उनके प्रमोशन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
खुद डॉ. गुप्ता ने मांगी जांच, जवाब में मिला ठंडा रवैया
डॉ. गुप्ता ने इस पूरे मामले को लेकर 2024 में एक लिखित प्रार्थना पत्र उच्च अधिकारियों को भेजा था, जिसमें उन्होंने अपनी वरिष्ठता की स्थिति और प्रमोशन से जुड़ी असलियत जानने की अपील की। जनवरी 2025 में अपर स्वास्थ्य निदेशक ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएमओ को पत्र जारी किया और मामले की जानकारी स्पष्ट करने को कहा।
सीएमओ कार्यालय ने यह पत्र विभाग में सार्वजनिक कर दिया, जिसके बाद यह मामला मीडिया और कर्मचारियों के बीच चर्चा का विषय बन गया। दुर्भाग्यवश, इस पूरी प्रक्रिया के बाद कुछ कर्मचारियों ने ही डॉ. गुप्ता के प्रमोशन को फर्जी बताना शुरू कर दिया, जिससे उनकी छवि को ठेस पहुंची।
प्रमोशन की वैधता पर दी सफाई
डॉ. गुप्ता ने अपनी सफाई में स्पष्ट किया कि उन्हें जो प्रमोशन मिला, वह सीएमओ कार्यालय द्वारा जारी उस लेटर के आधार पर दिया गया था, जिसे अपर स्वास्थ्य निदेशक ने विधिवत जारी किया था। डॉ. गुप्ता का कहना है कि यदि उन्हें प्रमोशन फर्जी तरीके से मिला होता, तो वे कार्यभार ग्रहण ही क्यों करते?
उनका कहना है कि जब विभाग ने नियुक्ति का पत्र भेजा, प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी की और उन्होंने उसे स्वीकार कर कार्यभार संभाला, तो अब वर्षों बाद उसे फर्जी बताना अनुचित और मानसिक रूप से प्रताड़ना जैसा है।
शुरुआती खबर – Chandauli News: फर्जी तरीके से बने डिप्टी सीएमओ का संभाल रहे थे कार्यभार, 8 साल के बाद हुआ खुलासा
सवालों के घेरे में सीएमओ ऑफिस चन्दौली
इस पूरे घटनाक्रम में सीएमओ कार्यालय की काम करने की प्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं। यदि वरिष्ठता सूची में गड़बड़ी थी, तो उसकी जांच पहले क्यों नहीं हुई? क्यों विभागीय स्तर पर रिकॉर्ड को सही नहीं किया गया? इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि विभाग ने समय रहते दस्तावेजों की ठीक से जांच की होती, तो आज डॉ. गुप्ता को इस तरह की शर्मिंदगी और मानसिक पीड़ा नहीं झेलनी पड़ती।

Author: Shivam Verma
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