Chandauli News: आज़ादी के 78 साल बाद भी अगर किसी विद्यालय में बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर हों, तो यह हमारे शिक्षा व्यवस्था और सरकारी योजनाओं की ज़मीनी हकीकत को उजागर करता है। चंदौली ज़िले के नौगढ़ तहसील क्षेत्र के मझगांवां गांव का प्राथमिक विद्यालय इसी विडंबना का उदाहरण बन चुका है, जहाँ 105 छात्र-छात्राएं बिना शौचालय सुविधा के पढ़ाई कर रहे हैं।
विद्यालय में कुल 54 लड़के और 51 लड़कियां पढ़ाई कर रही हैं। पांच शिक्षक और एक शिक्षामित्र अपनी पूरी निष्ठा से बच्चों को शिक्षित करने में लगे हुए हैं, लेकिन जब बात बुनियादी सुविधाओं की आती है, तो स्कूल की हालत बेहद दयनीय नजर आती है। शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा तक विद्यालय में नहीं है, जिसके चलते नन्हे छात्र-छात्राओं को खुले में शौच जाना पड़ता है। इससे न सिर्फ उनका स्वास्थ्य खतरे में पड़ता है, बल्कि उनकी सुरक्षा को भी गंभीर चुनौती मिलती है।
सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ कागजों पर
सरकार ने स्कूलों में शौचालय निर्माण के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं, जिनके लिए हर साल बजट भी तय होता है। लेकिन मझगांवां के स्कूल की स्थिति देखकर लगता है कि इन योजनाओं का लाभ सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह गया है। दिव्यांग बच्चों के लिए अलग से शौचालय की बात करना तो दूर, सामान्य बच्चों के लिए भी कोई सुविधा नहीं है। यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि या तो योजनाएं सही से लागू नहीं हो रही हैं, या फिर इनका लाभ कहीं और खर्च हो रहा है।
अधिकारी भी बचते नजर आए
जब इस गंभीर मुद्दे को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों से बात की गई, तो उनका रवैया बेहद निराशाजनक रहा। खंड शिक्षा अधिकारी लालमणि कन्नौजिया ने जिम्मेदारी से बचते हुए खंड विकास अधिकारी से बात करने की सलाह दी, वहीं खंड विकास अधिकारी अमित कुमार ने “देखकर बताएंगे” कहकर बात को टाल दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि जब जिम्मेदार अधिकारी ही अपनी भूमिका से पीछे हटने लगें, तो बच्चों की समस्याओं का हल कौन निकालेगा?
जांच की उठी मांग
गांव के लोगों में इस मुद्दे को लेकर भारी नाराज़गी है। उनका कहना है कि जब इतनी योजनाएं और बजट होने के बावजूद भी उनके बच्चों को खुले में शौच के लिए मजबूर होना पड़े, तो इसका सीधा अर्थ यही निकलता है कि कहीं न कहीं घोर लापरवाही हो रही है। ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है, ताकि यह साफ हो सके कि आखिर सरकारी बजट का पैसा कहां खर्च हो रहा है और बच्चे क्यों अब तक मूलभूत सुविधा से वंचित हैं।

Author: Shivam Verma
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