Etawah News: देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए जवान सूरज सिंह का पार्थिक शरीर जैसे ही उनके गृह जनपद इटावा पहुंचा, गांव में शोक की लहर दौड़ गई। लेकिन शोक के इस माहौल को प्रशासन की लापरवाही ने गुस्से में बदल दिया। मोर्चरी में हुए अव्यवस्थाओं को लेकर परिजनों और ग्रामीणों ने जोरदार हंगामा किया और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
शहीद सूरज सिंह की वीरगति
सूरज सिंह इटावा जिले की चकरनगर तहसील के प्रेमपुरा गांव के निवासी थे। उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर के टंगधार सेक्टर में हवलदार के पद पर थी। जानकारी के मुताबिक मंगलवार को ड्यूटी के दौरान उनका काफिला सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया, जिसमें सूरज सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और शहीद हो गए।
मोर्चरी में अव्यवस्था देख भड़के परिजन
गुरुवार देर रात सूरज सिंह का पार्थिक शरीर पोस्टमार्टम हाउस के मोर्चरी में लाया गया, लेकिन वहां की हालत देखकर परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। परिजनों ने आरोप लगाया कि मोर्चरी में रखा गया फ्रीजर पूरी तरह से खराब था, जिससे पार्थिक शरीर को सुरक्षित रखने में परेशानी हुई। इसके अलावा वहां फैली गंदगी ने माहौल को और अधिक पीड़ादायक बना दिया।
परिजनों और ग्रामीणों का कहना था कि एक शहीद के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए। शहीद को पूरा सम्मान मिलना चाहिए था, लेकिन प्रशासन ने न तो कोई प्रोटोकॉल अपनाया और न ही कोई उचित व्यवस्था की. अव्यवस्था से नाराज़ लोगों ने मौके पर “जिला प्रशासन मुर्दाबाद” और “योगी सरकार मुर्दाबाद” के नारे लगाए। हंगामा इतना बढ़ गया कि प्रशासन को तत्काल व्यवस्था सुधारनी पड़ी और पार्थिक शरीर के लिए उचित जगह व साधन उपलब्ध कराए गए।
पत्रकारों के साथ भी हुई अभद्रता
इस दौरान जब मीडिया कर्मियों ने प्रशासन की लापरवाही को अपने कैमरों में कैद करने की कोशिश की, तो जिला प्रशासन पर पत्रकारों के साथ अभद्रता करने के भी आरोप लगे। इससे मीडिया प्रतिनिधि नाराज़ हो गए और उन्होंने प्रशासन के रवैये की कड़ी निंदा की।
घटना के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी सामने आईं। भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष अरुण गुप्ता ने प्रशासन की लापरवाही को गंभीर बताया और कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस घटना की जानकारी दी गई है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
वहीं समाजवादी पार्टी के प्रदेश सचिव गोपाल यादव ने कहा कि “जो जवान देश की रक्षा में शहीद होते हैं, उनका सम्मान सर्वोपरि होता है। लेकिन इटावा प्रशासन ने न सिर्फ शहीद सूरज सिंह का अपमान किया, बल्कि समूचे सैनिक समाज को ठेस पहुंचाई है। यह प्रशासनिक विफलता है।”
पीछे छूट गया शोकाकुल परिवार
शहीद सूरज सिंह अपने पीछे पत्नी नीलम सिंह, 12 वर्षीय बेटी शीतल और 8 वर्षीय बेटे अर्जुन को छोड़ गए हैं। साथ ही उनके बुजुर्ग पिता कैप्टन वीर सिंह भी इस दुख से टूट गए हैं। पूरे गांव में मातम पसरा है और हर आंख नम है। गांव के लोग सूरज सिंह को एक बहादुर और जिम्मेदार सैनिक के रूप में याद कर रहे हैं।

Author: Shivam Verma
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