Gonda News: गोंडा जिले के नवाबगंज थाना क्षेत्र के धर्मपुरवा गांव की एक दरगाह पर सालों से अंधविश्वास का खेल चलता आ रहा था, जिसकी पोल अब एक किशोरी की मौत के बाद खुल गई है। इस घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। जिस दरगाह को लोग वर्षों से ‘चमत्कारी’ मानते आ रहे थे, वह असल में झाड़-फूंक और ताबीज के जरिए लोगों की भावनाओं से खेल रही थी।
सात साल से चल रहा था अंधविश्वास का कारोबार
धर्मपुरवा गांव स्थित हजरत गुप्ती शहीद शाह र.उ. सेवा समिति दरगाह पिछले सात सालों से अंधविश्वास का अड्डा बनी हुई थी। दरगाह पर बीमारी के इलाज के नाम पर ताबीज, झाड़-फूंक और तरह-तरह के टोने-टोटके किए जा रहे थे। कैंसर, पेट दर्द, बुखार और यहां तक कि संतान प्राप्ति जैसे गंभीर मामलों में भी लोगों को डॉक्टर की बजाय इसी दरगाह पर आने को कहा जाता था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां मरीजों की हालत देखकर 50 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक के ताबीज बेचे जाते थे। दरगाह के मुख्य संचालक एखलाख अहमद, उनके साथी राजू और एक अन्य व्यक्ति पर अब ठगी और अवैध गतिविधियों के गंभीर आरोप लगे हैं।
17 साल की कविता बनी अंधविश्वास की बलि
इस अंधविश्वास का सबसे ताजा और दर्दनाक उदाहरण 17 वर्षीय कविता की मौत है। कविता को कुछ दिनों से तेज बुखार था। जब डॉक्टरों से आराम नहीं मिला, तो परिजन उसे दरगाह ले गए। तीन दिनों तक वहां झाड़-फूंक का सिलसिला चला। ना कोई दवा, ना डॉक्टर। हालत बिगड़ती गई और आखिरकार कविता की मौत हो गई।
इस घटना के बाद दरगाह से जुड़े सभी लोग फरार हो गए हैं, जिससे मामला और भी संदेहास्पद हो गया है। अपर पुलिस अधीक्षक राधेश्याम राय ने जानकारी दी कि कविता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और दरगाह संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है.

Author: Shivam Verma
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