Hindu New Year 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस बार हिंदू नववर्ष 30 मार्च 2025 से शुरू होगा। इस दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होगी और गुड़ी पड़वा पर्व भी मनाया जाएगा। धार्मिक दृष्टि से यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी और भगवान श्रीराम एवं धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
Hindu New Year (विक्रम संवत) का महत्व
हिंदू नववर्ष विक्रम संवत के अनुसार मनाया ही जाता है, जिसे सम्राट विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में शुरू किया था। यह संवत भारतीय संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म में ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी को नववर्ष के रूप में मान्यता नहीं दी जाती, बल्कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही नव संवत्सर (नए साल) की शुरुआत होती है। इस दिन को नवजीवन, सकारात्मक ऊर्जा और नए संकल्पों के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
हिंदू नववर्ष 2025 का राजा और मंत्री कौन?
इस मान्यता के अनुसार हर वर्ष का एक देवता राजा और मंत्री होता है। इसका निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि जिस दिन हिन्दू नव वर्ष का पहला दिन होता है। उस दिन (वार) के स्वामी देवता, ही उस वर्ष के राजा माने जाते हैं। इस प्रकार इस वर्ष हिंदू नववर्ष 30 मार्च को रविवार के दिन शुरू हो रहा है, और रविवार के स्वामी भगवान सूर्य माने जाते हैं। अतः इस वर्ष हिंदू नववर्ष के राजा और मंत्री दोनों भगवान सूर्य होंगे। सूर्य देव के राजा और मंत्री होने से प्रशासन, स्वास्थ्य, ऊर्जा और आत्मबल में वृद्धि होती है। साथ ही हिंदु धर्म के मानने वाले लोग भगवान सूर्य को
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे होगी और यह तिथि 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से होगी और 7 अप्रैल को इसका समापन होगा। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है और व्रत रखे जाते हैं।
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कैसे मनाया जाता है हिंदू नव वर्ष?
हिंदू नववर्ष पूरे भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसे देश भर में अलग अलग त्योहारों के रूप में जैसे, महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादि, जबकि राजस्थान और उत्तर भारत के कई हिस्सों में नव संवत्सर (नव वर्ष) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, पूजा-पाठ करते हैं और विशेष प्रसाद बनाते हैं।
धार्मिक स्थलों पर विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। उत्तर भारत में नवरात्रि का प्रथम दिन होने से अधिकतर लोग व्रत रखते हैं, विशेषकर माता रानी की पूजा करते हैं। मंदिर जाते हैं, भजन, पूजा-पाठ इत्यादि करते हैं। इस प्रकार हिन्दू नव वर्ष पूरी तरह से धार्मिक रीति रिवाज से ही मनाया जाता है।

Author: Shivam Verma
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