Jhansi News: आर्य समाज मंदिर, नगरा में आयोजित अथर्ववेद परायण महायज्ञ का समापन पूर्णाहुति के साथ संपन्न हुआ। इस नौ दिवसीय यज्ञ में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और वेदों की महिमा को आत्मसात किया। यज्ञ के अंतिम दिन प्रातःकालीन सत्र में यज्ञाचार्य आचार्य राम किशोर मेद्यार्थी ने अथर्ववेद के मंत्रों के साथ आहुति दिलवाई और वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जैसे मनुष्य की नाभि सही रहती है तो शरीर स्वस्थ रहता है, वैसे ही यज्ञ पूरे विश्व की नाभि के समान है जो संपूर्ण सृष्टि को संतुलित और पवित्र बनाए रखता है।
समर्पित यजमानों ने दी आहुति
यज्ञ के यजमान धवल एवं गौरी, शिवम् एवं स्वाति यादव (लखनऊ), तान्या एवं सौरभ यादव (गुड़गांव) रहे। इनके साथ-साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं, महिलाओं एवं पुरुषों ने भी यज्ञ में आहुति देकर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।
वेदों का महत्व एवं आध्यात्मिक प्रवचन
जिला प्रधान राजेंद्र सिंह यादव ने यज्ञ के महत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि जैसे किसी देश का संविधान होता है, वैसे ही चारों वेद संपूर्ण संसार के लिए संविधान के समान हैं। जो व्यक्ति वेद रूपी संविधान के अनुसार चलता है, वह सदा सुखी और समृद्ध रहता है। उन्होंने समुद्र मंथन की कथा का आध्यात्मिक विश्लेषण प्रस्तुत किया, जिससे श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
भजन और वेदों की महिमा का गुणगान
जिला आर्य समाज की संरक्षिका शकुंतला यादव ने अपने प्रेरणादायक भजन – “ना यह मेरा ना यह तेरा, मंदिर है भगवान का। पानी उसकी बूंद है, सब कुछ उसी महान का।” – के माध्यम से श्रद्धालुओं को जीवन की सच्चाई से अवगत कराया। आर्य विद्वान हरिओम शास्त्री एवं आदित्य प्रकाश ने यज्ञ के महत्व और इसके वैज्ञानिक पहलुओं को भी समझाया। उन्होंने बताया कि यज्ञ के माध्यम से वातावरण शुद्ध होता है और मन-मस्तिष्क को शांति मिलती है।
विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस भव्य आयोजन में कर्नल बी.के. सिंह, प्रसिद्ध गजल एवं भजन गायक जसवंत सिंह अशोक सूरी सहित अनेक विद्वान एवं श्रद्धालु उपस्थित रहे। यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात सभी भक्तों के लिए ऋषि भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

Author: Shivam Verma
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