Lakhimpur kheri News: जिले के मैलानी थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाली लेकिन राहत भरी खबर सामने आई है। करीब 12 साल पहले लापता हुए युवक अशालत की अचानक घर वापसी ने न सिर्फ उसके परिवार बल्कि उन ससुराल वालों को भी हैरान कर दिया है, जिन पर उसकी हत्या का आरोप लगा था। जिस ससुर को दामाद की हत्या के संदेह में सात महीने तक जेल में रहना पड़ा, आज वही ससुर अपने सकुशल लौटे दामाद को देखकर भावुक हो गया।
क्या है पूरा मामला?
मामला लखीमपुर खीरी के गांव कुकुरा निवासी अशालत पुत्र रियाजत (उम्र 35) से जुड़ा है। वर्ष 2013 में अशालत की शादी सिकंदराबाद निवासी कल्लन खां की बेटी सूफिया बेग से हुई थी। शादी के आठ महीने बाद जब अशालत अपनी पत्नी को विदा कराने ससुराल पहुंचा तो वहां विवाद हो गया। ससुर ने किसी कारणवश बेटी को भेजने से इनकार कर दिया, जिससे नाराज़ होकर दोनों के बीच कहासुनी हुई और कल्लन खां ने अशालत को घर से निकाल दिया।
इसी अपमान और नाराज़गी में अशालत वहां से चला गया और फिर कभी वापस नहीं लौटा। इस घटना के बाद उसका परिवार चिंतित हो गया और उसने अपने बेटे की तलाश शुरू कर दी।
पुलिस में गुमशुदगी, फिर हत्या का मुकदमा
काफी समय तक कोई सुराग न मिलने पर अशालत के परिजनों ने नीमगांव थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने छानबीन शुरू की लेकिन जब लंबे समय तक कोई जानकारी नहीं मिली, तो परिजन कोर्ट की शरण में गए।
कोर्ट के आदेश पर नीमगांव पुलिस ने अशालत के ससुर कल्लन खां के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। कल्लन खां करीब सात महीने तक जेल में रहे, लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिल सका।
12 साल बाद अचानक वापसी
जिस अशालत को मृत मान लिया गया था, वह करीब 12 साल बाद अचानक अपने गांव लौट आया। अशालत को देखकर उसके परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वहीं, जब यह खबर ससुराल पक्ष तक पहुंची तो उन्होंने भी राहत की सांस ली।
परिवार के लोगों का कहना है कि इतने सालों बाद बेटे को जीवित देखकर जैसे उनकी दुनिया लौट आई है। वहीं ससुराल पक्ष के लोग, खासकर कल्लन खां, जो पहले जेल की सजा भुगत चुके हैं, अब खुद को निर्दोष साबित होते देख संतोष महसूस कर रहे हैं।
इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर भी कई सवाल खड़े हुए थे। अशालत के गायब होने के बाद जब पुलिस कोई ठोस नतीजा नहीं निकाल सकी, तो परिजनों ने उनकी जांच पर गंभीर आपत्ति जताई थी।

Author: Shivam Verma
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