Lucknow News: राजधानी लखनऊ में वकीलों और पुलिस के बीच विवाद अब सड़कों तक पहुंच चुका है। इस टकराव के चलते अधिवक्ताओं ने सोमवार को बैठक कर कोर्ट के सभी न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया। वहीं, पुलिस ने भी सुरक्षा के मद्देनज़र शहर के प्रमुख चौराहों पर भारी फोर्स तैनात कर दी है।
वकीलों ने ठप्प किया कामकाज
बीते 17 मार्च को अवध बार एसोसिएशन, लखनऊ बार एसोसिएशन और सेंट्रल बार एसोसिएशन की संयुक्त बैठक हुई थी। इस बैठक में 18 मार्च से न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का निर्णय लिया गया। वकीलों का कहना है कि जब तक पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस नहीं लिए जाते और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे। इसके परिणामस्वरूप हाईकोर्ट और जिला कोर्ट का पूरा कामकाज ठप हो गया है।
पुलिस कमिश्नर से करेंगे मुलाकात
वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को लखनऊ पुलिस कमिश्नर से मुलाकात करेगा। वे विभूतिखंड थाने में हुई घटना के बाद वकीलों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने और दोषी पुलिसकर्मियों के निलंबन की मांग करेंगे। यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वकील अपना आंदोलन और तेज कर सकते हैं और इसे प्रदेश स्तर पर ले जाने का ऐलान कर सकते हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद 14 मार्च की रात होली के अवसर पर हुआ था, जब कुछ अधिवक्ता पैरवी के लिए विभूतिखंड थाने पहुंचे थे। वहां उनकी पुलिसकर्मियों से कहासुनी और हाथापाई हो गई। स्थिति बिगड़ते ही बड़ी संख्या में वकील थाने पहुंच गए और उन्होंने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। हालात काबू में लाने के लिए कई थानों की फोर्स और उच्चाधिकारी मौके पर पहुंचे।
दोनों पक्षों पर मुकदमे दर्ज
इस मामले में 9 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। वहीं, अगले ही दिन करीब 150 वकीलों पर भी एफआईआर दर्ज कर दी गई, जिससे अधिवक्ता समुदाय में रोष फैल गया। वकीलों ने अपनी गिरफ्तारी और मुकदमों के विरोध में आंदोलन की घोषणा कर दी।
वर्तमान में लखनऊ का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। पुलिस की भारी तैनाती से शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वकीलों के रुख को देखते हुए टकराव और बढ़ने की संभावना बनी हुई है। अब यह देखना होगा कि पुलिस कमिश्नर के साथ होने वाली वार्ता से इस विवाद का कोई समाधान निकलता है या मामला और गंभीर हो जाता है।

Author: Shivam Verma
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