Lucknow News: सरकारी और संविदा नौकरियों का झांसा देकर बेरोजगारों से करोड़ों रुपये ठगने वाले कुख्यात गैंग के सदस्य और मुख्य आरोपी जितेंद्र तिवारी के करीबी संतोष पांडेय की जमानत याचिका एडीजे चतुर्थ निशा सिंह की अदालत ने खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने संतोष पांडेय को निर्दोष बताया, लेकिन शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर शुक्ल ने कोर्ट के सामने संतोष की सक्रिय भूमिका उजागर करते हुए जमानत का विरोध किया, जिसके बाद कोर्ट ने बेल याचिका को खारिज कर दिया।
लखनऊ जेल से कोर्ट में पेशी
रामगंज पुलिस की अर्जी पर लखनऊ जेल में निरुद्ध संतोष पांडेय को वारंट-बी पर सुलतानपुर कोर्ट में तलब किया गया था। वहीं, इस गिरोह का मास्टरमाइंड जितेंद्र तिवारी पहले ही गिरफ्तार हो चुका है और फिलहाल जिला कारागार लखनऊ में बंद है। थाना प्रभारी कृष्ण मोहन सिंह की अर्जी पर उसे भी 9 जून को कोर्ट में पेश किए जाने के लिए वारंट-बी जारी हुआ है।
परिवार और जान-पहचान से ठगी का जाल
इस गिरोह का नेटवर्क काफी बड़ा है, जो वर्षों से बेरोजगार युवाओं को सरकारी, संविदा और आउटसोर्सिंग नौकरियों का लालच देकर फर्जी जॉइनिंग लेटर और पहचान पत्र के जरिये मोटी रकम ऐंठता रहा है। आरोपी वरुण मिश्र और उसकी पत्नी निशा मिश्रा पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है, दोनों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन अभी तक उन्हें कोई राहत नहीं मिली है।
गैंग के अन्य सदस्य—विकास तिवारी, बब्बन तिवारी, रोहित यादव, पंकज तिवारी और सरवन तिवारी पर भी गंभीर आरोप हैं। इन सभी पर अलग-अलग जिलों में मुकदमे दर्ज हैं और कई थानों में जांच जारी है। खास बात यह है कि यह गैंग बार-बार अपना नाम और ठिकाना बदलकर लोगों को ठगता रहा, जिससे इनके खिलाफ सबूत जुटाना पुलिस के लिए भी चुनौती रहा।
48 लाख रुपये ट्रांजैक्शन, नकद में भी वसूली का आरोप
करीब नौ महीने पहले रामगंज थाना क्षेत्र में कोर्ट के आदेश पर इस ठगी गिरोह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पीड़ित की ओर से अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक मामले की मॉनिटरिंग की अर्जी दी गई है। आरोप है कि आरोपी गिरोह ने पीड़ितों के खातों से लगभग 48.93 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए, जबकि शेष रकम नकद में वसूली गई।
जुटाई अरबों की संपत्ति
इस गिरोह की ठगी से जुटाई गई संपत्ति अरबों रुपये तक पहुंच चुकी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार जल्द ही गैंग पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जा सकता है और उनकी संपत्तियों की जब्ती की कार्यवाही भी शुरू हो सकती है। इस पूरे मामले में पहली बार ये आरोपी कानूनी शिकंजे में आए हैं, वरना पहले यह पीड़ितों के बीच आपस में विवाद करवाकर खुद को बचा लेते थे।
प्रदेश के कई जिलों में नेटवर्क
इस गैंग का जाल अमेठी, लखनऊ, प्रयागराज समेत कई जिलों में फैला हुआ है। रामगंज, अलीगंज (लखनऊ) और फाफामऊ (प्रयागराज) थानों में भी फर्जीवाड़े से जुड़े मामले दर्ज हैं। पुलिस अब अन्य जिलों में भी इनकी गतिविधियों की जांच कर रही है और आने वाले दिनों में बड़े खुलासे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

Author: Shivam Verma
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