Mahakumbh Prayagraj 2025: बॉलीवुड में फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni )ग्लैमर की दुनिया छोड़कर धर्म और अध्यात्म की दुनिया में शामिल हो गई। अब उनका नाम माई ममता नंद गिरी होगा । उन्हें किन्नर अखाड़े ने अपना महा मंडलेश्वर बनाया है। ममता अमावस्या का शाही स्नान भी कर सकती हैं। बॉलीवुड सुपर स्टार ममता कुलकर्णी मायानगरी से दूर क्यों हुई, महामंडलेश्वर बनने तक का सफर कैसे पूरा किया जानिए पूरी कहानी उन्हीं की जुबानी…
फ़िल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni ) से महामंडलेश्वर बनी श्री यमाई ममता नंद गिरी बोली कि मैं बॉलीवुड की सुपरस्टार मैं 40 50 फिल्में की जब मैं बॉलीवुड को त्याग किया तो मेरे हाथ में 25 फिल्में थी। मैंने 40-50 फिल्में की हैं। 200 से 300 कॉन्टेस्ट भी किया। यह सब छोड़कर मैंने सन्यास ग्रहण किया। मैं उस वक्त कोई बुरी स्थिति या दुख अवसाद में नहीं थी। मैंने अपनी खुशी-खुशी आनंद अंतर्मन से संन्यास को स्वीकार किया है। 23 सालों (mamta kulkarni age) से गृहस्थ से दूर हूँ।
ममता कुलकर्णी ने बाताया कि मेरे ऊपर जब केस चला तो मुझे महाकाल महाकाली के ऊपर बहुत गुस्सा आया। बहुत जिद किया उनके सामने जाकर बड़ी शिकायत की उलाहना दिया रोया। लेकिन वह मौन रहे। फिर मैं 12 साल तक कठिन तपस्या ब्रह्मचर्य,पूजा आराधना किया और उसका परिणाम आज आपके सामने है। उनका आशीर्वाद ही है कि महामंडलेश्वर बनी, महामंडलेश्वर बनना आसान नहीं है। सनातन समभाव दर्शी है। बांग्लादेश में जो हिंदुओं के साथ हो रहा है वह नहीं होना चाहिए । और यह भी प्रश्न है कि आखिर बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ ऐसा क्यों हो रहा है। सिर्फ इतना कहना है कि इधर लड़ोगे तो उधर नरक में जाना लड़ना ही पड़ेगा। इधर सुख दोगे तो उधर स्वर्ग मिलेगा। अब आपको सोचना है आपको क्या करना है स्वर्ग में जाना है या नर्क में जाना है।
फिल्मी दुनिया में करीब तीन दर्जन फिल्मों में अभिनय कर चुकी अनेक लोक में अपने अभिनय का डंका बढ़ाने वाली ममता कुलकर्णी अब महाकुंभ में नया लुक धारण कर चुकी हैं। गेरूआ वस्त्र गले में रुद्राक्ष की माला,माथे पर तिलक कानों में कुंडल के साथ ही वह छत्र और चंवर धारी हो गई हैं। क्योंकि शुक्रवार को संगम के तट पर पिंडदान करने के बाद किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की मौजूदगी में उनका पट्टाभिषेक किया गया। अब उन्हें ममता कुलकर्णी नहीं महामंडलेश्वर श्री यामाई ममता नंद गिरी की नाम से जाना जाएगा।
क्यों चुना किन्नर अखाड़ा?
ममता कुलकर्णी का मानना है कि महाकुंभ नगर (Maha Kumbh Mela) क्षेत्र में जितने भी अखाड़े हैं उनमें से किन्नर अखाड़ा मध्यमार्गी है और उनके अनुकूल सबसे अच्छा है। यहां वह सांसारिक जीवन के साथ ही अध्यात्म और धर्म से जुड़कर एक संत का जीवन भी जी सकती हैं। किन्नर अखाड़े से वह पिछले 2 साल से जुड़ी हैं। महाकुंभ नगर में किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें संबल दिया। उनका कहना है कि वह पिछले 23 वर्षों से एक तपस्वी जैसा जीवन बिताया है। वह 23 साल पहले ही जूना अखाड़े के चैतन्य गगन गिरि से दीक्षा ले चुकीं हैं। यह सब अचानक से नहीं हुआ। वर्ष 2000 से उनका झुकाव धर्म एवं आध्यात्म की ओर हो गया था। वह अब धर्म का प्रचार करना चाहती हैं। इस वजह से उन्होंने संन्यास की दीक्षा ली। इसके पहले वह वर्ष 2013 के कुंभ में भी यहां आ चुकी हैं। अगला अमृत स्नान भी किन्नर अखाड़े के साथ ही करने की कोशिश रहेगी।
बॉलीवुड की लौटने से इनकार
वहीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि ममता कुलकर्णी करीब दो साल से अखाड़े के संपर्क में थीं। फिर से बॉलीवुड में लौटने फिल्में साइन करने को लेकर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने साफ किया की किन्नर अखाड़े की तरफ से ऐसी कोई पाबंदी नहीं है, अगर वह चाहे तो फिल्में या अभिनय कर सकती हैं। लेकिन ममता कुलकर्णी दोबारा बॉलीवुड की लौटने से इनकार किया है।
महामंडलेश्वर बनने की घोषणा
फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni ) बृहस्पतिवार को ही महाकुंभ नगरी ( पहुंच गई थीं। शुक्रवार सुबह सेक्टर-16 संगम लोवर मार्ग स्थित किन्नर अखाड़ा शिविर पहुंची। इसके बाद उनकी संन्यास दीक्षा क्रियाएं आरंभ हुईं। आचार्य पुरोहित की मौजूदगी में करीब दो घंटे तक संन्यास दीक्षा हुई। श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर गर्गाचार्य मुचकुंद, पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि समेत अन्य संतों की मौजूदगी मेंं धार्मिक क्रियाएं हुईं। इसके बाद शाम को संगम तट पर पिंडदान हुआ। फिर पत्ताभिषेक हुआ। किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने महामंडलेश्वर बनने की घोषणा किया। पूरा क्षेत्र ओम पार्वती पतिये नमः से गूंज गया।