Raebareli News: स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली को लेकर एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। रायबरेली में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच के लिए भेजी जा रही डॉक्टरों की टीमों को जिन वाहनों से पहुंचाया जा रहा है, वे वाहन कथित तौर पर ई-रिक्शा और पिकअप निकले हैं। यह खुलासा Integrated Grievance Redressal System (आईजीआरएस) पर की गई एक शिकायत के बाद सामने आया है, जिससे विभाग में हड़कंप मच गया है।
IGRS शिकायत से हुआ खुलासा
शिकायत अमेठी जिले के पीपरपुर भादर गांव निवासी उमाशंकर तिवारी द्वारा की गई। उन्होंने आईजीआरएस पोर्टल के माध्यम से 21 वाहनों की सूची स्वास्थ्य विभाग में लगाए जाने को लेकर सवाल खड़े किए। सूची में जिन नंबरों का उल्लेख था, उनमें से कुछ वाहन परिवहन विभाग में ई-रिक्शा और पिकअप के रूप में पंजीकृत पाए गए।
विशेष रूप से यूपी 33 बीटी 8698 एक ई-रिक्शा के रूप में दर्ज है, जबकि यूपी 33 बीटी 0012 एक पिकअप वाहन के रूप में रजिस्टर्ड है। सवाल यह है कि क्या इन्हीं वाहनों से डॉक्टरों की टीमें स्कूलों तक पहुंच रही हैं?
कागजातों में भारी अनियमितता
शिकायतकर्ता का आरोप है कि इन वाहनों का न तो बीमा कराया गया है, न ही फिटनेस प्रमाणपत्र लिया गया है। कुछ वाहनों का टैक्स तक जमा नहीं किया गया है। हैरानी की बात यह भी है कि कई वाहन निजी पंजीयन वाले हैं, जबकि नियमानुसार व्यावसायिक पंजीयन वाले वाहनों का उपयोग ही किया जाना चाहिए था।
वाहनों के अनुबंध में भी अनियमितता के आरोप लगे हैं। टेंडर में जिन लक्ज़री गाड़ियों — जैसे एक्सयूवी 500 और अन्य — का उल्लेख किया गया था, उनकी जगह छोटे और सस्ते वाहनों, जैसे स्विफ्ट डिजायर, से काम चलाया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग का जवाब
शिकायत पर जवाब देते हुए रायबरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. नवीन चंद्रा ने कहा, “मामले की जांच की जा रही है। दो दिन में रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी। संभव है कि निस्तारण में त्रुटिवश यह सब हुआ हो। सत्यापन के बाद ही कोई ठोस बात कही जा सकेगी।”
वहीं, परिवहन विभाग के एआरटीओ परिवर्तन मनोज कुमार सिंह ने बताया कि वे इन वाहनों की जांच कर रहे हैं। यदि निजी या अयोग्य वाहन स्कूलों में डॉक्टरों की टीमों को ले जाने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं, तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।
मंत्री के गृह जिले में अनियमितता
यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि यह स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री दिनेश प्रताप सिंह के गृह जनपद रायबरेली से जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के प्रयासों के बीच इस तरह की अनियमितताएं सरकार की छवि को धूमिल करती हैं। विभागीय प्रक्रिया और दस्तावेज़ी गड़बड़ियों ने न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।

Author: Shivam Verma
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