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Shiv Panchakshar Nakshatramala: इस महाशिवरात्रि अवश्य पढ़ें श्री शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र, मिलेगी भोलेनाथ की कृपा दृष्टि

Shiv Panchakshar Nakshatramala
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भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना प्रत्येक सोमवार को विशेष रूप से की जाती है। इसके अतिरिक्त भगवान शिव की पूजा के लिए श्रावण मास और प्रत्येक महीने की शिवरात्रि व महाशिवरात्रि अत्यंत ही महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस दिन भगवान भोलेनाथ के मंत्रो, स्तोत्र, चालीसा, आरती, स्तुति व भजनों के साथ भक्तिभाव से पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। इस शिवरात्रि आपको इस शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र का पाठ करना उत्तम फलदायक होगा।

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शिव पञ्चाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र

श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय।
नामशेषितानमद्भावसिन्धवे नमः शिवाय पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय ॥१॥

परमात्मा, गुणों के सागर शिव आपको नमस्कार है, जिनका थोड़ा-सा प्रकाश सूर्य के तेज को तिरस्कृत कर देता है, विष्णुसखा शिव नमस्कार है। जिनके नाममात्र से भक्त संसार सागर से मुक्त हो जाते हैं शिव नमस्कार है पामर और अन्य सभी के तुच्छ लोगों के मुख्य मित्र शिव आपको नमस्कार है ॥१॥

कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय शूलभिन्नदुष्टदक्षफाल ते नमः शिवाय ।
मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय ॥२॥

काल से भयभीत ब्राह्मणों के बालकों के रक्षक शिव आपको नमस्कार है, त्रिशूल से दुष्ट दक्ष के सिर को काटनें वाले शिव आपको नमस्कार है। जगत के मूल कारण, कालों के काल महाकाल शिव आपको नमस्कार है। अब मेरी रक्षा करो करुणा के सागर शिव आपको नमस्कार है ॥२॥

इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय ।
वृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय ॥३॥

मनोवांछित वस्तुओं के प्रदाता शिव आपको नमस्कार है, दुष्ट राक्षसों के समूह के नाशक शिव नमस्कार है। सृष्टि के रक्षक, धर्मरक्षक शिव नमस्कार हैं, अष्टमूर्ति वृषभद्धज शिव नमस्कार है ॥३॥

आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय पापहारिदिव्यसिन्धुमस्त ते नमः शिवाय।
पापदारिणे लसन्नमस्तते नमः शिवाय शापदोषखण्डनप्रशस्त ते नमः शिवाय ॥४॥

विपत्तियों के पर्वतों को नष्ट करने वाली खड्ग को धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है, पाप हरने वाली गंगा को मस्तक पर धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है। पापनाशक आशुतोष शिव आपको नमस्कार है, शाप और दोषों के खंडन में सर्वसमर्थ शिव आपको नमस्कार है ॥४॥

व्योमकेश दिव्यभव्यरूप ते नमः शिवाय हेममेदिनीधरेन्द्रचाप ते नमः शिवाय ।
नाममात्रदग्धसर्वपाप ते नमः शिवाय कामनैकतानहृद्दुराप ते नमः शिवाय ॥५॥

आकाशरूपी जटा वाले दिव्य और भव्य स्वरूप वाले शिव आपको नमस्कार है, मेरु पर्वत के रूप में धनुष धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है। जिनके नाममात्र॑ से ही समस्त पाप दूर हो जाते हैं शिव आपको नमस्कार है, कामवासनाओं से भरे लोगों के लिए दुष्प्राप्य शिव आपको नमस्कार है ॥५॥

ब्रह्ममस्तकावलीनिबद्ध ते नमः शिवाय जिह्मगेन्द्रकुण्डल प्रसिद्ध ते नमः शिवाय ।
ब्रह्मणे प्रणीतवेदपद्धते नमः शिवाय जिह्मकालदेहदत्तपद्धते नमः शिवाय ॥६॥

ब्रह्मा के कपालों (मुण्डों) की माला धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है सर्पराज वासुकी को कुंडल रूप में धारण करने वाले शिव आपको नमस्कार है। ब्रह्मा के लिए रचित वेदपद्धति के रचयिता शिव नमस्कार है अपने पैरों से कुटिल मृत्यु को तिरस्कृत करने वाले शिव नमस्कार है ॥६॥

कामनाशनाय शुद्धकर्मणे नमः शिवाय सामगानजायमानशर्मणे नमः शिवाय।
हेमकान्तिचाकचिक्यकर्मणे नमः शिवाय सामजासुराङ्गलब्धचर्मणे नमः शिवाय॥७॥

कामनांओं के नाशक, विशुद्ध कर्म के कर्ता शिव नमस्कार है, सामवेद के संगीत को सुनकर प्रसन्न होने वाले शिव नमस्कार है। सोने की चमक के समान चमकते हुए प्रभामंडल को धारण करने वाले शिव नमस्कार है। गजासुर की चर्म को धारण करने वाले शिव नमस्कार है ॥७॥

जन्ममृत्युघोरदुःखहारिणे नमः शिवाय चिन्मयैकरूपदेहधारिणे नमः शिवाय ।
मन्मनोरथावपूर्तिकारिणे नमः शिवाय सन्मनोगताय कामवैरिणे नमः शिवाय॥८॥

यक्षराजबन्धवे दयालवे नमः शिवाय दक्षपाणिशोभिकाञ्चनालवे नमः शिवाय ।
पक्षिराजवाहहृच्छयालवे नमः शिवाय अक्षिफाल वेदपूततालवे नमः शिवाय ॥९॥

दक्षहस्तनिष्ठजातवेदसे नमः शिवाय अक्षरात्मने नमद्बिडौजसे नमः शिवाय ।
दीक्षितप्रकाशितात्मतेजसे नमः शिवाय उक्षराजवाह ते सतां गते नमः शिवाय ॥१०॥

राजताचलेन्द्रसानुवासिने नमः शिवाय राजमाननित्यमन्दहासिने नमः शिवाय ।
राजकोरकावतंसभासिने नमः शिवाय राजराजमित्रताप्रकाशिने नमः शिवाय ॥११॥

दीनमानवालिकामधेनवे नमः शिवाय सूनबाणदाहकृत्कृशानवे नमः शिवाय ।
स्वानुरागभक्तरत्नसानवे नमः शिवाय दानवान्धकारचण्डभानवे नमः शिवाय ॥१२॥

सर्वमङ्गलाकुचाग्रशायिने नमः शिवाय सर्वदेवतागणातिशायिने नमः शिवाय ।
पूर्वदेवनाशसंविधायिने नमः शिवाय सर्वमन्मनोजभङ्गदायिने नमः शिवाय ॥१३॥

स्तोकभक्तितोऽपि भक्तपोषिणे नमः शिवाय माकरन्दसारवर्षिभाषिणे नमः शिवाय।
एकबिल्वदानतोऽपि तोषिणे नमः शिवाय नैकजन्मपापजालशोषिणे नमः शिवाय ॥१४॥

सर्वजीवरक्षणैकशीलिने नमः शिवाय पार्वतीप्रियाय भक्तपालिने नमः शिवाय ।
दुर्विदग्धदैत्यसैन्यदारिणे नमः शिवाय शर्वरीशधारिणे कपालिने नमः शिवाय ॥१५॥

पाहि मामुमामनोज्ञदेह ते नमः शिवाय देहि मे वरं सिताद्रिगेह ते नमः शिवाय ।
मोहितर्षिकामिनीसमूह ते नमः शिवाय स्वेहितप्रसन्नकामदोह ते नमः शिवाय ॥१६॥

मङ्गलप्रदाय गोतुरंग ते नमः शिवाय गङ्गया तरङ्गितोत्तमाङ्ग ते नमः शिवाय।
संगरप्रवृत्तवैरिभङ्ग ते नमः शिवाय अङ्गजारये करेकुरङ्ग ते नमः शिवाय ॥ १७॥

ईहितक्षणप्रदानहेतवे नमः शिवाय आहिताग्निपालकोक्षकेतवे नमः शिवाय।
देहकान्तिधूतरौप्यधातवे नमः शिवाय गेहदुःखपुञ्जधूमकेतवे नमः शिवाय ॥१८॥

त्र्यक्ष दीनसत्कृपाकटाक्ष ते नमः शिवाय दक्षसप्ततन्तुनाशदक्ष ते नमः शिवाय ।
ऋक्षराजभानुपावकाक्ष ते नमः शिवाय रक्ष मां प्रपन्नमात्ररक्ष ते नमः शिवाय ॥१९॥

न्यङ्कुपाणये शिवंकराय ते नमः शिवाय सङ्कटाब्धितीर्णकिङ्कराय ते नमः शिवाय ।
पङ्कभीषिताभयंकराय ते नमः शिवाय पङ्कजाननाय शंकराय ते नमः शिवाय ॥२०॥

कर्मपाशनाश नीलकण्ठ ते नमः शिवाय शर्मदाय नर्यभस्मकण्ठ ते नमः शिवाय ।
निर्ममर्षिसेवितोपकण्ठ ते नमः शिवाय कुर्महे नतीर्नमद्विकुण्ठ ते नमः शिवाय ॥२१॥

विष्टपाधिपाय नम्रविष्णवे नमः शिवाय शिष्टविप्रहृद्गुहाचरिष्णवे नमः शिवाय ।
इष्टवस्तुनित्यतुष्टजिष्णवे नमः शिवाय कष्टनाशनाय लोकजिष्णवे नमः शिवाय ॥२२॥

अप्रमेयदिव्यसुप्रभाव ते नमः शिवाय सत्प्रपन्नरक्षणस्वभाव ते नमः शिवाय ।
स्वप्रकाश निस्तुलानुभाव ते नमः शिवाय विप्रडिम्भदर्शितार्द्रभाव ते नमः शिवाय ॥२३॥

सेवकाय मे मृड प्रसीद ते नमः शिवाय भावलभ्य तावकप्रसाद ते नमः शिवाय ।
पावकाक्ष देवपूज्यपाद ते नमः शिवाय तावकाङ्घ्रिभक्तदत्तमोद ते नमः शिवाय ॥२४॥

भुक्तिमुक्तिदिव्यभोगदायिने नमः शिवाय शक्तिकल्पितप्रपञ्चभागिने नमः शिवाय ।
भक्तसंकटापहारयोगिने नमः शिवाय युक्तसन्मनःसरोजयोगिने नमः शिवाय ॥२५॥

अन्तकान्तकाय पापहारिणे नमः शिवाय शंतमाय दन्तिचर्मधारिणे नमः शिवाय ।
सन्तताश्रितव्यथाविदारिणे नमः शिवाय जन्तुजातनित्यसौख्यकारिणे नमः शिवाय ॥२६॥

शूलिने नमो नमः कपालिने नमः शिवाय पालिने विरिञ्चितुण्डमालिने नमः शिवाय ।
लीलिने विशेषरुण्डमालिने नमः शिवाय शीलिने नमः प्रपुण्यशालिने नमः शिवाय ॥२७॥

शिवपञ्चाक्षरमुद्रां चतुष्पदोल्लासपद्यमणिघटिताम् ।
नक्षत्रमालिकामिह दधदुपकण्ठं नरो भवेत्सोमः ॥२८॥

॥ इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छङ्करभगवतः कृतौशिवपञ्चाक्षरनक्षत्रमालास्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

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Shivam Verma
Author: Shivam Verma

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