Sultanpur News: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में अगस्त 2024 में हुई एक बहुचर्चित डकैती और उसके बाद के घटनाक्रम ने पुलिस की कार्यशैली और निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी मंगेश यादव की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु, जांच की प्रक्रिया, और पुलिस की निष्क्रियता को लेकर कई विवाद सामने आए हैं।
कब हुई थी डकैती की घटना
28 अगस्त 2024 को सुल्तानपुर शहर के एक प्रमुख ज्वेलरी शॉप, भरत ज्वैलर्स, में दिनदहाड़े डकैती हुई, जिसमें करीब डेढ़ करोड़ रुपये के आभूषण और नकदी लूट लिए गए। इस घटना में कुल 12 बदमाश शामिल थे, जिनमें से अधिकांश अमेठी जिले के निवासी थे। पुलिस ने इन बदमाशों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। गिरोह के मुख्य सरगना विपिन सिंह ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी रही।
मंगेश यादव का एनकाउंटर और विवाद
5 सितंबर 2024 को, पुलिस ने दावा किया कि जौनपुर निवासी मंगेश यादव, जो इस डकैती में शामिल था, एक मुठभेड़ में मारा गया। पुलिस के अनुसार, मंगेश और उसका एक साथी मोटरसाइकिल से भाग रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें रोका। इस दौरान, मंगेश ने पुलिस पर गोलीबारी की, जिसके जवाब में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें मंगेश घायल हो गया और बाद में अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने मंगेश के पास से 32 बोर की पिस्टल, 315 बोर का तमंचा, बाइक और लूटे गए जेवर बरामद करने का दावा किया।
हालांकि, मंगेश के परिवार ने इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे घर से उठाया था और बाद में उसकी हत्या कर दी। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई और निष्पक्ष जांच की मांग की। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए कहा कि जाति के आधार पर कार्रवाई की गई है।
पुलिस की जांच और फाइनल रिपोर्ट
मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद, एसटीएफ ऑफिसर डीके शाही ने मंगेश और उसके अज्ञात साथी के खिलाफ पुलिस टीम पर हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया। कोतवाली देहात थाना प्रभारी सत्येंद्र सिंह ने इस मामले की जांच की, लेकिन घटना के सात महीने बाद भी मंगेश के अज्ञात साथी का कोई सुराग नहीं लगा सके। परिणामस्वरूप, उन्होंने फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी, जिसमें मंगेश के खिलाफ अपराध प्रमाणित होने, लेकिन उसकी मृत्यु हो जाने और अज्ञात आरोपी के बारे में जानकारी न मिल पाने का हवाला दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, अज्ञात आरोपी का सुराग लगाने के लिए कोई सक्रिय प्रयास नहीं दिखा। इस निष्क्रियता के चलते पुलिस टीम की कार्यशैली पर सवाल उठे। कोर्ट ने एसटीएफ प्रभारी डीके शाही को नोटिस जारी किया है, जिससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है।
मजिस्ट्रेट जांच के आदेश और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इन विवादों के बीच, सुल्तानपुर के जिलाधिकारी ने मंगेश यादव के एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। लंभुआ के एसडीएम विदुषी सिंह को इस जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में मामला दर्ज कराया है और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
राजनीतिक स्तर पर भी यह मामला गर्माया हुआ है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस एनकाउंटर पर कई सवाल उठाए हैं। अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि जाति के आधार पर मंगेश को निशाना बनाया गया, जबकि राहुल गांधी ने निष्पक्ष जांच की मांग की।

Author: Shivam Verma
Description