झज्जर, हरियाणा: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में आईआईटी वाले बाबा अभय सिंह चर्चा में बने हुये हैं। लोग इनके बारे में ज्यादा जानकारी पाने के लिए काफी उत्सुक हैं। इसी पर TOI ने उनके पिता करण सिंह ग्रेवाल से बात की और उनके बेटे के बारे में ज्यादा जानकारी सँजोने का प्रयास किया। इस पर कई बातें सामने आई है, जो आपको भी जरूर जाननी चाहिए। बता दें अभय सिंह के पिता झज्जर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
आईआईटी बाबा के पिता का बयान
करण सिंह ग्रेवाल ने अपने बेटे के घर छोडने के कारण पर बात करते हुए कहा, कि उनके दाम्पत्य जीवन में चल रहे खींचा तानी ने बेटे के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव डाला। उन्होने बताया की अभय सिंह बहुत ही संवेदनशील है, जो स्वर में थोड़े से बदलाव को भी भांप लेता था। उन्होंने कहा कि शायद इसीलिए उसने मुझे हमेशा एक कठोर पिता माना। यह स्वीकार करते हुए कि पति-पत्नी के बीच मतभेद हर घर में आम हैं, उन्होंने कहा कि अभय ने इन झगड़ों को अपने अंदर समेट लिया। दंपत्तियों को इससे सबक लेना चाहिए और अपने बच्चों की भलाई के लिए अपने विवादों को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
इसके बाद उनसे अभय सिंह के घर लौटने पर सवाल किया गया, तो उन्होने कहा- मैंने जो कुछ भी कमाया है, सब उसका है। वह मेरा एकलौता बेटा है, उसने इस जीवन के सभी बुरे बर्ताव और प्रभाव को देखकर अध्यात्म का रास्ता चुना है। उसका कहना यह भी है यदि उसे वहाँ भी सही रास्ता नहीं दिखाई दिया तो वह उसे भी छोड़ देगा। इस बात से कुछ उम्मीद और आशा की किरण तो दिखाई पड़ती है। अगर आध्यात्म के मार्ग पर उसे कुछ बुराइयाँ नज़र आयीं तो वह घर लौट सकता है।
आईआईटी बाबा की माता
आईआईटी बाबा अभय सिंह की माता, जिनका नाम शीला देवी है जो पेशे से एक वकील हैं। उनकी तरफ से भी एक भावुक कर देने वाली प्रतिक्रिया आई है, “हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे घर बसाएं और एक स्थिर जीवन जिएं। मैं केवल यही प्रार्थना करती हूं कि अभय जहां भी हो, खुश और स्वस्थ रहे।” हर दंपत्ति को अपने बच्चों को घरेलू विवाद और हिंसा से दूर रखना चाहिए। इसका उनके जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। मेरे बेटे के जीवन में इन्हीं छवियों के कारण अपना रास्ता ही बदल दिया है। सभी को इससे सबक लेना चाहिए।
आईआईटी बाबा का संक्षिप्त परिचय
अभय का सफर झज्जर के छोटे से गांव ससरोली से शुरू हुआ, उनका जन्म 3 मार्च 1990 को ससरोली गाँव में हुआ। इसके बाद उन्होने बरहवीं तक की पढ़ाई झज्जर से ही की और आईआईटी दिल्ली में प्रवेश लेने की तैयारी भी यही से की। पहले ही प्रयास में उन्होने 2008 में 18 साल की उम्र में आईआईटी-मुंबई में बीटेक में प्रवेश लिया। इसके बाद यहीं से एमटेक भी किया।
अभय सिंह की एक बड़ी बहन भी है, जो शादी के बाद कनाडा चली गयी अब वर्तमान में वह अमेरिका में रहती हैं। अभय सिंह का बहन से बहुत लगाव था लेकिन शादी के बाद वह अकेलापन महसूस करने लगा। सांसरिक मोह माया त्यागकर, अध्यात्म के रास्ते पर जाने का यह भी एक मुख्य कारण माना जा सकता है।