Translate Your Language :

Home » उत्तर प्रदेश » कानपुर » Kanpur News: कानपुर अग्निकांड में ‘सीढ़ियों के नीचे छिपीं मासूम बेटियां, लेकिन आग से बच न सकीं’ – दिल दहला देने वाली रात

Kanpur News: कानपुर अग्निकांड में ‘सीढ़ियों के नीचे छिपीं मासूम बेटियां, लेकिन आग से बच न सकीं’ – दिल दहला देने वाली रात

Innocent daughters hiding under the stairs could not be saved in Kanpur fire incident
Facebook
X
WhatsApp

Kanpur News: कानपुर के प्रेमनगर में रविवार रात को हुआ भीषण अग्निकांड एक ऐसा हादसा बन गया, जिसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया। एक कारोबारी का पूरा परिवार—माँ-बाप और तीन मासूम बेटियाँ—धुएं और आग के बीच फंसा रह गया, लेकिन कोई रास्ता न बचा। दिल दहला देने वाले इस हादसे में पांचों की ज़िंदा जलकर मौत हो गई।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

आग की गिरफ्त में पूरा परिवार

चमनगंज इलाके के प्रेमनगर मोहल्ले में मोहम्मद दानिश की पांच मंजिला इमारत में रात 8:25 बजे अचानक आग भड़क उठी। आग की शुरुआत भूतल पर स्थित उनके जूता कारखाने में बिजली के मीटर से निकली चिंगारी से हुई। कुछ ही मिनटों में आग ने इमारत की निचली मंजिलों को चपेट में ले लिया। ऊपर की तरफ निकलने का रास्ता बंद था—छत के दरवाज़े पर ताला लगा था। इस आग और धुएं के जाल में दानिश (45), उनकी पत्नी नाजली सबा (40) और तीन बेटियां—सारा (15), सिमरा (12) और इनाया (7) फंसकर रह गईं।

सीढ़ियों के नीचे मिली मासूम ज़िंदगियाँ

रातभर चले रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जो मंजर सामने आया, उसने रेस्क्यू टीम को भी झकझोर कर रख दिया। दानिश और नाजली के शव चौथी मंजिल की सीढ़ियों पर मिले, जबकि तीनों बच्चियों के शव तीसरी मंजिल की सीढ़ियों के नीचे से बरामद हुए। आशंका है कि ये मासूम लड़कियां जान बचाने के लिए वहां छिप गई थीं, लेकिन घुटन और गर्मी ने उन्हें मौका नहीं दिया।

कोशिश करती रही दमकल, पर न बचा सकी जानें

इस अग्निकांड पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग को नौ फायर टेंडरों के साथ 77 चक्कर लगाने पड़े। करीब पांच लाख लीटर पानी का इस्तेमाल किया गया। बचाव कार्य में 75 से अधिक दमकलकर्मी, हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म और रेस्क्यू वाहन तक लगाए गए, लेकिन अंदर फंसे परिवार तक वक्त रहते पहुंचा नहीं जा सका। सोमवार सुबह 5:35 बजे आग पूरी तरह बुझाई जा सकी।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने भी घटना की भयावहता को बयान किया। डॉक्टर नवनीत चौधरी के अनुसार, सभी शव 100 प्रतिशत जले हुए थे। इनाया की हड्डियाँ तक बाहर आ गई थीं, जबकि सभी के मुंह और नाक में भारी मात्रा में कार्बन पाया गया। दानिश का एक हाथ पूरी तरह जलकर गल चुका था।

आग के आगे सब बेबस

जिस इमारत में हादसा हुआ, उसे दानिश ने 12 साल पहले बनवाया था और आग से सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम किए थे। हर मंजिल पर अग्निशमन यंत्र और फायर फाइटिंग पाइपलाइन लगी थी, जो छत पर बने पानी के टैंक से जुड़ी थी। लेकिन हादसे के समय, आग इतनी तेज़ थी कि दानिश सुरक्षा स्विच तक पहुंच ही नहीं पाए।

सोमवार शाम करीब 5:54 बजे फिर से दानिश के फ्लैट से धुआं और आग की लपटें उठती देखी गईं। दमकल को फिर बुलाया गया और आग को दोबारा काबू में किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि कुछ हिस्सों में अभी भी अंदरूनी गर्मी थी, जिसने दोबारा आग को जन्म दिया।

दानिश की पत्नी नाजली सबा का मायका नेपाल में है। हादसे की खबर मिलते ही उनका परिवार शहर पहुंचा। सोमवार रात को पांचों शवों को चमड़ा मंडी स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को आपदा कोष से चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।

Shivam Verma
Author: Shivam Verma

Description

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

ताजा खबरें