Shravasti News: विज्ञान को जटिल विषय मानने की पुरानी धारणा को तोड़ते हुए, जिले के इकौना स्थित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में विज्ञान शिक्षकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य था—बच्चों में विज्ञान के प्रति रुचि विकसित करना और शिक्षकों को इस विषय की प्रभावी और रोचक पद्धतियों से परिचित कराना।
यह प्रशिक्षण शिविर अगस्त्य इंटरनेशनल फाउंडेशन और विद्या वाहिनी (हुंडई मोटर इंडिया फाउंडेशन) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। शिविर का उद्घाटन डायट के प्राचार्य संतोष कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रवक्ता ओम प्रकाश यादव भी मौजूद रहे।
17 विद्यालयों के 19 विज्ञान शिक्षक हुए शामिल
विद्या वाहिनी के प्रभारी अभिषेक मौर्य ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रशिक्षण में जिले के 17 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 19 विज्ञान शिक्षकों ने हिस्सा लिया। प्रशिक्षण की खास बात यह रही कि इसमें “करके सीखना” प्रैक्टिकल पद्धति को विशेष महत्व दिया गया।
अभिषेक मौर्य ने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि शिक्षक पहले स्वयं विज्ञान की गतिविधियों को अनुभव करें और फिर बच्चों को भी वैसा ही अनुभव कराकर सिखाएं।” उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया से बच्चे न केवल विज्ञान समझते हैं, बल्कि उससे जुड़ाव भी महसूस करते हैं।
प्रैक्टिकल शिक्षा पर जोर
प्रशिक्षण के दौरान यह समझाया गया कि अनुभव आधारित शिक्षा से छात्र अपनी गलतियों और सफलताओं से सीखते हैं। यह केवल किताबों तक सीमित न रहकर प्रयोगशाला और वास्तविक जीवन की परिस्थितियों से जुड़ती है।
शिक्षक आलोक शुक्ला और अभिषेक मौर्य के मार्गदर्शन में, प्रतिभागियों को विज्ञान के सिद्धांतों को रोचक गतिविधियों के माध्यम से समझाया गया। वहीं मास्टर ट्रेनर सौरभ कुमार सिंह ने “प्रकाश”, “प्रकाश का परावर्तन” और “अपवर्तन” जैसे जटिल विषयों को बेहद सरल और प्रयोगात्मक तरीके से समझाया।
प्रशिक्षण में यह भी सिखाया गया कि कैसे कम संसाधनों में प्रभावशाली विज्ञान मॉडल बनाए जा सकते हैं। उदाहरणस्वरूप, डीप वेल, पेरिस्कोप, और कैलीडोस्कोप जैसे मॉडल खुद बनाकर दिखाए गए और फिर प्रतिभागियों को भी बनवाया गया।

Author: Shivam Verma
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